क्यों उठा लेती थी सीता , घास का तिनका 
क्यों उठा लेती थी सीता रावण के करीब आते ही क्यों घास का तिनका  नववधू जब ससुराल आती है तो उसके हाथ से कुछ मीठा पकवान बनवाया जाता है, ताकि जीवन भर परिवार के सदस्‍यों के बीच मिठास बनी रहे। इसलिए सीताजी ने उस दिन अपने हाथों से घर पर खीर बनाई और समस्त परिवार, राजा दशरथ सहित चारों भ्राता और ऋषि संतों को …
कायस्थ शब्द के अक्षर का अर्थ-
कायस्थ शब्द के अक्षर का अर्थ- कायस्थ इति जीवेत्तु विचरेच्च इतस्ततः।। 34।। अर्थ- कायस्थ प्राणी (मनुष्य) स्मरण किये गये हैं, वह भ्रमण करते हैं।। 34।। काकाल्लौल्यं यमात् क्रौर्यम् स्थपतेरथ कृन्तनम्। आद्याक्षराणि संगृह्य कायस्थ इति कीर्तितः।। 35।। अर्थ- काक के समान चतुर, काल के समान साक्षात् मृत्युदा…
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चित्रगुप्त की संतान हैं  हम,
चित्रगुप्त की संतान हैं  हम, चित्रांश वंशज कहलाते हैं, आदर्शों का पालन करते, मेहनत से कमाकर खाते हैं, चित्रगुप्त जी हैआदि देव हमारे, ब्रह्मा की काया से वे प्रकट हुए, उनके बारह पुत्र हुए थे उत्पन्न, वे  कायस्थ जाति से जाने गये, कलम दवात है रोजी का साधन, ज्ञान वान और चरित्र वान हैं, मां जगदम्बा कुल द…
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धर्मराज दशमी
सृष्टि व्यवस्था का आज बहुत ही पावन दिवस है. आज के दिन हम जहाँ हमारे आदि प्रवर्तक भगवान चित्रगुप्त जी की  बृह्मा द्वारा रचित लोक परलोक पाप पुण्य व्यवस्था के धर्म आधारित न्याय व्यवस्था के अधिकारी के रूप में उनके प्राकट्य दिवस परअर्चना करते हैं तो वहीं सृष्टि के प्राणियों के जीवन चक्र को पूर्व निर्धार…
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वास्तु-विज्ञान-वेद का अद्भुत समागम
भारत में ऐसे शिव मंदिर है जो केदारनाथ से लेकर रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में बनाये गये है।आश्चर्य है कि हमारे पूर्वजों के पास ऐसा कैसा विज्ञान और तकनीक था जिसे हम आज तक समझ ही नहीं पाये? उत्तराखंड का केदारनाथ, तेलंगाना का कालेश्वरम, आंध्रप्रदेश का कालहस्ती, तमिलनाडू का एकंबरेश्वर, चिदंबरम और अंततः र…
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इप्टा की एक महत्वपूर्ण भूमिका
आधुनिक रंगमंचीय विधा में इप्टा की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आधुनिक रंगमंच का रूपांतरण पारसी नाटकों से हुआ था जो मूलतः कलकत्ता से चलकर बम्बई होते हुये दिल्ली आया था और जिसमें लंबे संवाद, तड़क भड़क वेषभूषा व दृश्य के अनुरूप चित्र मय पृष्ठ भूमि  होती थी। राजा हरिशचंद्र, बालक ध्रुव,शीरी फरहाद, लैला …
बृज तीर्थ स्थली वर्ष 1656 ईस्वी, संवत 1713 में
वर्ष 1669 में औरंगजेब ने मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन के देव मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था। उससे ठीक 13 वर्ष पहिले बीकानेर ( राजस्थान) से एक महेश्वरी सज्जन बृज क्षेत्र की यात्रा पर गये थे और आज से 366 वर्ष पूर्व मथुरा वृन्दावन में कौन कौन से भव्य देवालय थे, उनका लाइव वर्णन उन सज्जन ने अपनी…
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कायस्थों के धाम
यू तो भारतवर्ष में भगवान चित्रगुप्त जी के अनेक मंदिर हैं, परन्तु इनमें से पौराणिक एवं एतिहासिक महत्व के प्रथम चार मंदिर, कायस्थों के चार धामों के समतुल्य महत्व रखते हैं।  ये महत्वपूर्ण और प्रसिद्व तो हैं ही, प्रश्न है हमारी आस्था और विश्वास का। ये मंदिर निम्न हैं :- 1 . मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले क…
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विलुप्त हो चुकी होली ?
अब कायस्थ मोहल्ला Kayastha अजमेर Ajmer इतिहास Hostory के पन्नो में चला गया है। बचपन में यहाँ बिताए दिन स्मृति में अभी भी है। यहाँ खेली गई होली Holi को जब भी याद करते है, सारे रिती रिवाज याद आ जाते है। ये अब नजर नहीं आते । अब तो त्यौहारों की औपचारिकताए extinct ही रह गई है।  पुरानी यादें आपसे शेयर …
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बसंत पंचमी
इस दिन मां शारदा का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए बसंत पंचमी के बाद मौसम में बसंत ऋतु का आगमन आरंभ हो जाता है इस दिन विद्या प्राप्त करने वाले छात्र और छात्राओं को मां सरस्वती की वंदना करके अपने गुरुओं का भी आशीर्वाद ले ले तो बहुत अच्छा माना गया है बसंत पंचमी भारतीय संस्कृति में एक बहुत ही हर्षोल्लास के…
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कायस्थो का ननिहाल : नागवंश 
कायस्थो का ननिहाल : नागवंश Kayastha's Nanihal: Nagavansh भगवान चित्रगुप्त Lord Chitragupta की दो शादियाँ हुईं,जिनसे 12 पुत्र थे और पुत्रों का विवाह नागराज बासुकी की बारह कन्याओं से सम्पन्न हुआ, जिससे कि कायस्थों की  ननिहाल नागवंश मानी जाती है। उनकी  पहली पत्नी सूर्यदक्षिणा /नंदनी जो ब्राह्मण कन…
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कायस्थों के ऋषि गोत्र
मूलतः कायस्थों के ऋषि गोत्र ये हैं :- कश्यप, वत्स, वशिष्ठ, शांडिल्य, हुलस, हर्षल, भारद्वाज, अत्रि।  हिन्दू मिताक्षरा के अनुसार सगोत्र की मान्यता सात पीढ़ी तक रहती है और ऋषियों का अवसान हुये कई हजार वर्ष बीत गये हैं तो अब यह सगोत्र नहीं माना जायेगा। ये सब ऋषि भी मूलतः बृह्मा व मनु से उत्पन्न हुये है…
बंगाल में कायस्थ वंश
‘’ शास्त्रों की यह बात है कि भगवान चित्रगुप्त जी के 12 पुत्रों में से एक सुचारु नाम के गौड़-बंगाल देश में आकर बसे और उनके वंशज गौड़ कायस्थ कहलाये। हिन्दू कानून पर श्यामाचरण सरकार की प्रसिद्ध पुस्तक ‘व्यवस्था दर्पण’ तीसरा संस्करण, पृष्ठ 332-370 में लिखा है कि पूर्व कालीन बंगाली कायस्थ सुचारु के वंशज…
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कायस्थ
कायस्थ, एक 'उच्च' श्रेणी की जाति है हिन्दुस्तान में रहने वाले सवर्ण हिन्दू चित्रगुप्त वंशी क्षत्रियो को ही कायस्थ कहा जाता है। स्वामी वेवेकानंद ने अपनी जाति की व्याख्या कुछ इस प्रकार की है :- एक बार स्वामी विवेकानन्द से भी एक सभा में उनसे उनकी जाति पूछी गयी थी। अपनी जाति अथवा वर्ण के बारे म…
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सकट चौथ वैज्ञानिक पहलू 
▪ विटामिन डी सूरज की रोशनी से शरीर द्वारा बनाया जाता है।  ▪तिल (तिल) में सबसे अधिक कैल्शियम (975mg प्रति 100 ग्राम) होता है। दूध में केवल 125mg है।  ▪शरीर एक वर्ष तक विटामिन डी का भंडारण करने में सक्षम है, और भंडार का उपयोग करता है।  ▪अंत में, शरीर सूर्य के प्रकाश के पूरे 3 दिनों के साथ अपने वेटमिन…
कायस्थों की विरासत
वैसे तो बहुत समय तक भारत में कायस्थों का साम्राज्य रहा है और कायस्थों में बहुत कुछ ऐसा निर्माण कराया की भारत में वह यादगार योग्य है ! कायस्थों में पूर्व में बहुत सारे राजा हुए हैं जिन्होंने कायस्थ साम्राज्य को विस्तारपूर्वक फैलाया और एक सभ्य संभ्रांत समाज की नींव रखी समाज के लिए बहुत सारे सामाजिक क…
कायस्थ परिवार: एक परिचय
भगवान चित्रगुप्त की दो शादियाँ हुईं,जिनसे 12 पुत्र थे और पुत्रों का विवाह नागराज बासुकी की बारह कन्याओं से सम्पन्न हुआ, जिससे कि कायस्थों की  ननिहाल नागवंश मानी जाती है। उनकी  पहली पत्नी सूर्यदक्षिणा /नंदनी जो ब्राह्मण कन्या थी, इनसे 4 पुत्र हुए जो भानू, विभानू, विश्वभानू और वीर्यभानू कहलाए।  दूसरी…
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डा राजेन्द्र प्रसाद :सज्जनता और सरलता को कभी नहीं छोड़ा
विनम्र पुष्पाजंलि रात्रि आधी सी अधिक बीत चुकी थी. एक युवक बिस्तर से परेशान – सा करवटे बदल रहा था. दूर – दूर तक आँखों में नींद न थी. उसे कानो में राष्ट्रीय नेता गोखले के शब्द बार – बार गूंज उठते ” याद रखो, युवको, देश का भी तुम पर अधिकार है….. तुम जैसे लोगो पर उसका अधिकार और भी अधिक है ”. मातृभूमि वि…
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संविधान दिवस: कायस्थ समुदाय के लिए गर्व
एक कायस्थ व्यापारी के पुत्र  प्रेम बिहारी रायजादा ने भारत के संविधान की  "पहली प्रति अपने हाथों से लिखी थी" भारतीय संविधान की आज 70वी वर्षगांठ पर उस व्यक्ति को याद करना बहुत आवश्यक है जिसने भारत के संविधान की पहली प्रति को हाथों से लिखा !  वह व्यक्ति एक कायस्थ , प्रेम बिहारी नारायण रायजाद…
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