धर्मराज दशमी


सृष्टि व्यवस्था का आज बहुत ही पावन दिवस है. आज के दिन हम जहाँ हमारे आदि प्रवर्तक भगवान चित्रगुप्त जी की  बृह्मा द्वारा रचित लोक परलोक पाप पुण्य व्यवस्था के धर्म आधारित न्याय व्यवस्था के अधिकारी के रूप में उनके प्राकट्य दिवस परअर्चना करते हैं तो वहीं सृष्टि के प्राणियों के जीवन चक्र को पूर्व निर्धारितआयु में बांधने  व नियंत्रित करने तथा वह समयावधि बीत जाने के बाद उस प्राणी के लघु जीव को नश्वर देह से निकलवा कर मृत्योपरांत अवधि भोगने को उसके कर्मों के अनुसार निर्णय करने हेतु धर्मदेव चित्रगुप्त के पास भेजने वाले महाज्ञानी, धर्म विधान के ज्ञाता यमराज का भी वंदन करते हैं. 
इस प्रकार धर्मराज चित्रगुप्त एवं धर्मराज यमदेव दोनों ही पितामह बृह्मा के सृष्टि रथ के दो चक्र हैं और दोनों ही अति पूजनीय हैं. दोनों का स्वतंत्र निर्धारित कार्य है और दोनों ही देवताओं की श्रेणी में उच्च स्थान रखते हैं.


साभार :.---राजस्थान कायस्थ महासभा