एक समय था जब हमारा कायस्थ समाज आधे विश्व पर राज करता था और ये राज काज बहुत समय तक रहा। मुगल शासन मे भी हम लोग अपने आप को स्थापित किए रहे उस समय भी हम लोगो का बहुत ही बड़ा सम्मान और राजनीतिक समावेश रहा और हमारा अस्तित्व बहुत ही दमदार था।अंग्रेज काल में भी हम लोग ऊचे पदों पर रहे लेकिन राजनीतिक आधार कम होने लगा लेकिन जैसे ही हम लोगो ने नब्बे के दशक में प्रवेश किया वैसे ही हमारी प्रगति, हमारे संबंध, हमारी राजनीतिक जमीन आदि धीरे धीरे खत्म होने लगे।
हम लोग सिमटने लगे और ये क्रम आज भी बदस्तूर जारी है इसी दशक में कायस्थ समाज में बहुत सी संस्थाओ ने जन्म लिया उन्होने अपने यहां पद और पदाधिकारी तो बनाए लेकिन कार्यकर्ता नहीं बनाए इन संस्थाओ ने वायदो का पिटारा तो खोला लेकिन सब आधारहीन यह संस्थाएं राजनीतिक एवं सामाजिक विकास एवं आधार देने मे नाकामयाब रहे ।
आज हम अपना राजनीतिक आधार पूरी तरह से खो चुके हैं एक समय जो आखरी पंक्ति में खड़े हुए लोग थे ।वो हमसे आगे खड़े हो गए हैं ।आज हम लोगो की जरूरत है कि राजनीतिक रूप से आगे आए दमदार उपस्थित दर्ज कराए और राजनीति में स्थापित हो लेकिन ये तभी संभव है जब हम लोग आपस में चर्चा करे, एक स्वस्थ संवाद हो अपने विचार रखे जिससे लोगो के संबंध मधुर हो तथा प्रगाढ़ता आए
अगर आज हम लोग अपने हक और अधिकारों के लिए जागरूक नहीं हुए तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा अस्तित्व नकार खाने की तूती बन जायेगा, हालाकि अभी भी वो ही हाल है लेकिन हल्की सी आवाज आ रही है वे भी बंद हो जाएगी और राजनीतिक हिस्सेदारी एक सपना बन कर रह जाएगी। राजनीतिक हिस्सेदारी से आधी समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो जाती है या ये कह सकते कि राजनीतिक हिस्सेदारी समस्या हल करने की चाबी हैआज हम लोग कोशिश कर रहे हैं कि हम लोगो को राजनीति में आए और पकड़ मजबूत बनाए ।
:- अंबुज सक्सेना