मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, निष्किय संगठन, पदाधिकारी सबक ले ।

 जयपुर, 19 नवम्बर , (कायस्थ टुडे )। कहते है कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती , काम केवल फरमान जारी करने से नहीं बल्कि जमी पर उतर कर करने से होते है । ओर यह कर दिखाया है कायस्थ हितकारिणी सभा,जयपुर ने ।

समाज में अनेक ऐसे संगठन है जिनके पदाधिकारी केवल फरमान जारी करते है, जमी पर होता कुछ है नहीं । कायस्थ हितकारिणी सभा जयपुर ने एक ने दो नहीं 47 साल तक बिना रूके थके अपनी जमीन जिस पर भरोसा देकर मन्दिर में सेवा पूजा करने वाले परिवार ने अतिक्रमण कर लिया उसे छुडवा कर ही चैन लिया ।

 कायस्थ हितकारिणी सभा जयपुर की 47 साल तक की कार्यकारिणी, इस संघर्ष में सहयोग कर रहे चित्रांश बंधुओं की जितनी तारीफ करे कम है । कायस्थ हितकारिणी सभा जयपुर की इस समपर्ण सेवा कार्य से समाज के उन संगठनों को सबक लेना चाहिए जिन्होने केवल पद पर शोभायान है ओर जिनके काम के खाते में  जीरो दर्ज है ।

 


कायस्थ हितकारिणी सभा,जयपुर ने लक्ष्मी नारायण पुरी ,मंडी खटीकन (दिल्ली बाईपास)  स्थित अन्नपूर्णा माताजी के मंदिर की अचल संपत्ति को ,पुजारी स्व राधेश्याम शर्मा के परिवार से न्यायिक रूप से छुड़वा कर ऐतिहासिक कार्य किया है । 



"कायस्थ हितकारिणी सभा, जयपुर" ने पिछले 47 वर्षों से "अन्नपूर्णा माताजी मंदिर" की अचल संपत्ति को ,पुजारी स्वर्गीय राधेश्याम शर्मा के परिवार से न्यायिक रूप से छुड़वा लिया हे ।" कायस्थ हितकारिणी सभा ,जयपुर" के स्वामित्व की वर्ष 1964 से वार्ड नंबर -66, लक्ष्मी नारायण पुरी, जयपुर में (12 हजार, वर्ग गज ) करीब 5 बीघा जमीन है।

         गोपी मोहन माथुर ने बताया कि     सदाराम मुशर्रफ जी ने तत्कालीन महाराजा जयपुर से 1931 में लेकर इसमें "अन्नपूर्णा माताजी का मंदिर" बनाया था, और बगीची -कुआं आदि बनवा कर ,सेवा पूजा करने लगे थे । निसंतान सदाराम जी की पत्नी का स्वर्गवास होने एवं स्वयं की वृद्धावस्था के कारण सारी संपत्ति सुभाष चौक जयपुर, में कार्यरत चौपाड़ी रामचंद जी कायस्थ सभा को सम्भला दी थी ।भौगोलिक दृष्टि से बगीची के चारों दिशाओं में खटीक समाज के लोगों की रिहाइश थी। जिनके घरों के पिछवाड़े ,अन्नपूर्णा माता जी मंदिर बगीची की तरफ थे।




                  कुछ वर्ष उपरांत, सुभाष चौक वाली कार्यसमिति ने पूरी संपत्ति "कायस्थ हितकारिणी सभा जयपुर "को वर्ष 1964 में हस्तांतरित कर दी थी। वर्ष 1963 से राधेश्याम पुत्र मोहनलाल विधिवत चयनित पुजारी के रूप में मंदिर में सेवा पूजा कर रहे थे।जिसे  "देवस्थान विभाग" की भी स्वीकृति थी।

                  राधेश्याम पुजारी का कार्यकाल लंबा रहा जिसमें उसने मंदिर भूमि में अतिक्रमण कर कमरे बना लिए और अमर्यादित काम करने लगे थे, इस कारण "कायस्थ हितकारिणी सभा" की प्रबंध कारिणी ने 5/4 /1975 को पुजारी पद से बर्खास्त कर दिया था। किंतु आदेशों की अवहेलना के कारण , जिला एवं सेशन न्यायालय, जयपुर । क्रमांक 2 में दावा करना पड़ा।न्यायिक प्रक्रिया में सेशन कोर्ट में फैसला 1987 में हुआ --11 वर्ष ।अपील हाई कोर्ट पर फैसला 2006----19 वर्ष *पुनः वाद सेशन कोर्ट में फैसला (समझौता)2022- 17 वर्ष 

यानि 47 साल की लम्बी कानूनली लडाई के बाद अपनी जमीन पर फिर से काबिज हुए है । 

   राधेश्याम पुजारी का हाईकोर्ट में न्यायिक प्रक्रिया के दौरान वर्ष 2001 में देहांत होने के उपरांत उनके जेष्ठ पुत्र अमरनाथ शर्मा मन्दिर ,बगीची पर काबिज हो गए। अमरनाथ ने मंदिर परिसर में काबिज होने के बाद  से ही मंदिर के पट बंद कर दिए, भक्तों का, आस-पड़ोस का,व समाज का प्रवेश बंद हो गया।

                 मौजूदा परिस्थिति में गत 11 /11/ 2022 को संबंधित न्यायालय क्रमांक 5 एवं न्यायालय एस. डी. एम. जयपुर, प्रथम जहाँ अन्तरिम निषेधाज्ञा लगी थी,  खारिज कर,और दोनों वादों को भी समाप्त कर,"कायस्थ हितकारिणी सभा" को लंबी समस्या से मुक्ति दिला दी । इससे सभा को अनुमानित 50लाख की डूबी हुई संपत्ति भी पुनः मिल गई ,और कब्जा धारी कथित पुजारी अमरनाथ  के चंगुल से भी स्थाई तौर पर मुक्ति मिल गई है।

 कायस्थ हितकारिणी सभा जयपुर के अनुसार यदि समझौता नहीं करते तो वाद और अपील के दो अवसर ,प्रतिवादीगण के पास ओर थे।  न जाने कब संपत्ति कायस्थ हितकारिणी सभा जयपुर को मिलती ।

       इस विजय यात्रा  के सारथी बने सभा के सचिव गोपीमोहन माथुर ,उपाध्यक्ष के.एन.माथुर ,कोषाध्यक्ष अमर नारायण माथुर ,नवनिर्वाचित अध्यक्ष  देवेंद्र प्रसाद सक्सेना (मधुकर) नवनिर्वाचित कार्यकारी अध्यक्ष इंजीनियर लाडली शरण माथुर।