भूल कर भी गणेश चतुर्थी पर नहीं देखे चांद वर्ना ................

jaipur जयपुर, 31 अगस्त , (कायस्थ टुडे) । भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान गणेश का जन्म चतुर्थी तिथि पर दोपहर के समय हुआ था। 


भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी इस बार 31 अगस्त को है और इसी दिन से 10 दिनों तक चलने वाला गणेशोत्सव का पर्व बड़ी ही धूम.धाम के साथ मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी तिथि पर गणेश विसर्जन के साथ यह पर्व खत्म होता है। आज यानि 31 अगस्त बुधवार को विनायक चतुर्थी है। गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थीए गणेश चौथ, डंडा चौथ और शिव चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। 



गणेश चतुर्थी पर जहां एक तरफ बड़े ही धूम.धाम के साथ घर.घर गणपति विराजते हैं और विधि.विधान के साथ पूजा.अर्चना की जाती है वहीं दूसरी तरफ ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर चंद्रमा के दर्शन करने की मनाही होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करने पर व्यक्ति कलंक का भागी बनता है। इसके पीछे पौराणिक कथा है जिसके कारण चांद के दर्शन करने पर कलंक लगता है। धर्मग्रंथों के अनुसार भाद्रपद गणेश चतुर्थी तिथि को चंद्रमा दर्शन नहीं करने चाहिए, क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन करने से झूठा कलंक लगता है। श्रीमदभागवत के अनुसार चतुर्थी तिथि पर चांद देखने से ही भगवान श्रीकृष्ण पर मिथ्या कंलक लगा था जिससे मुक्ति पाने के लिए उन्होंने विधिवत गणेश चतुर्थी का व्रत करके इससे मुक्ति पायी थी।


पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान गणेश को गज का मुख लगाया गया तो वे गजानन कहलाए और माता.पिता के रूप में पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा करने के कारण अग्रपूज्य हुए। सभी देवताओं ने उनकी स्तुति की पर चंद्रमा मंद.मंद मुस्कुराते रहें उन्हें अपने सौंदर्य पर अभिमान था। गणेशजी समझ गए कि चंद्रमा अभिमान वश उनका उपहास कर रहे हैं। क्रोध में आकर भगवान श्रीगणेश ने चंद्रमा को काले होने का श्राप दे दिया। इसके बाद चंद्रमा को अपनी भूल का एहसास हुआ। 

तब चंद्रदेव ने भगवान गणेश से क्षमा मांगी तो गणेश जी ने कहा कि सूर्य के प्रकाश को पाकर तुम एक दिन पूर्ण हो जाओगे यानी पूर्ण प्रकाशित होंगे। लेकिन चतुर्थी का यह दिन तुम्हें दण्ड देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। इस दिन को याद कर कोई अन्य व्यक्ति अपने सौंदर्य पर अभिमान नहीं करेगा। जो कोई व्यक्ति भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा , उस पर झूठा आरोप लगेगा।