उदयपुर 8 जून (कायस्थ टुडे) I महाराणा प्रताप के प्रत्येक युद्ध उनकी कूटनीति व सूझबूझ का परिचायक है जिससे प्रताप जीवन पर्यंत अजेय रहे,प्रताप मातृभूमि के सच्चे पुजारी थे,उनकी राष्ट्रभक्ति स्तुति योग्य हैं ,वे स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम अमर पुरोधा हैं l
मेवाड़ इतिहास परिषद के अध्यक्ष इतिहासकार प्रोफ़ेसर गिरीश नाथ माथुर ने मेवाड़ इतिहास परिषद द्वारा महाराणा प्रताप की जयंती की पूर्व संध्या पर ऑनलाइन आयोजित "महाराणा प्रताप कालीन मेवाड़ "विषयक ऐतिहासिक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किएl
मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ.गुणवंत सिंह देवड़ा ने महाराणा प्रताप कालीन मेवाड़ के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों को बताते हुए उनके संरक्षण व विकास पर जोर दियाl
परिषद के महासचिव डॉ. मनोज भटनागर ने " वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जीवन परिचय एवं छापामार युद्ध नीति" विषयक शोध पत्र का वाचन कियाlडॉ. संगीता भटनागर ने "महाराणा प्रताप कालीन दुर्गों का सामरिक महत्व" विशषयक शोध पत्र का वाचन किया।
संगोष्ठी संयोजक शिरीष नाथ माथुर ने बताया कि इस अवसर पर इतिहासकार डॉ.जे.के. ओझा, डॉ.राजेंद्र पुरोहित, वेद्या सावित्री देवी भटनागर, अनुराधा माथुर,डॉ धीरेन्द्र पाल सोनिगरा ने प्रताप के समय मेवाड़ की परिस्थिति पर प्रकाश डालते हुए महाराणा प्रताप के जीवन को राष्ट्र को समर्पित बताया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कीl KAYASTHA TODAY