आसां कहाँ हैं इस जग मे राम हो पाना
है जो हक का वो तज के संयासी हो जाना
दुःख पीड़ा व्याधि मे भी मुस्कुराना
आसां कहाँ हैं इस जग मे राम हो पाना
सालो तक वन मे रहना
पग पग पीरा सहना
घर वालो की खातिर
घर तक से दूर रहना
आसां कहाँ हैं इस जग मे राम हो पाना
गरल क्रोध का हर पल पी जाना
पुरखो की बातों का हँसकर मोल चुकाना
आसां कहाँ हैं इस जग मे राम हो पाना
असीम शक्ति होकर भी
खुद को बँधा हुआ पाना
पूरी मर्यादा से
सारा जीवन जी पाना
आसां कहाँ हैं इस जग मे राम हो पाना
अपने हर जुल्मी को माफ कर पाना
सब कुछ सह कर भी चुप रह जाना
आसां कहाँ हैं इस जग मे राम हो पाना
AVI R Mathur
नांवा सिटी