गणगौर की उद्यापन विधि

 


गणगौर की उद्यापन विधि 

कायस्थ टुडे के 1 अप्रैल 2022 के अंक में


गणगौर तीज के दिन 16 महिलाओं को भोजन कराया जाता है। यदि इतनी शक्ति न हो तो उनको दूने या कटोरी में 8 मीठे और 8 नमकीन गुनों के साथ रुपया, टीकी पत्ता, मेहंदी, आंटी रखकर घर पर ही पहुंचा दें। पूजन विधि अनुसार ही करें।

उद्यापन की सामग्री

उपरोक्त सभी सामग्री, उद्यापन मे भी लगती है परन्तु, उसके अलावा भी कुछ सामग्री है जोकि, आखरी दिन उद्यापन मे आवश्यक होती है.

सीरा (हलवा),पूड़ी,गेहू,आटे के गुने (फल),साड़ी,सुहाग या सोलह श्रंगार का समान आदि 


गणगौर उद्यापन की विधि 

सोलह दिन की गणगौर के बाद, अंतिम दिन जो विवाहिता की गणगौर पूजी जाती है उसका उद्यापन किया जाता है.




विधि –

आखरी दिन गुने(फल) सीरा , पूड़ी, गेहू गणगौर को चढ़ाये जाते है.

आठ गुने चढा कर चार वापस लिये जाते है.

गणगौर वाले दिन कवारी लड़किया और ब्यावली लड़किया दो बार गणगौर का पूजन करती है एक तो प्रतिदिन वाली और दूसरी बार मे अपने-अपने घर की परम्परा के अनुसार चढ़ावा चढ़ा कर पुनः पूजन किया जाता है उस दिन ऐसे दो बार पूजन होता है.

दूसरी बार के पूजन से पहले ब्यावाली स्त्रिया चोलिया रखती है ,जिसमे पपड़ी या गुने(फल) रखे जाते है. उसमे सोलह फल खुद के,सोलह फल भाई के,सोलह जवाई की और सोलह फल सास के रहते है.

चोले के उपर साड़ी व सुहाग का समान रखे. पूजा करने के बाद चोले पर हाथ फिराते है.

शाम मे सूरज ढलने से पूर्व गाजे-बाजे से गणगौर को विसर्जित करने जाते है और जितना चढ़ावा आता है उसे कथानुसार माली को दे दिया जाता है.

गणगौर विसर्जित करने के बाद घर आकर पांच बधावे के गीत गाते है