जाने कहाँ गये वो दिन, कहते थे तेरी राह में..........

Jaipur जयपुर, 27 अप्रैल ।( कायस्थ टुडे) । अग्रवाल फार्म मानसरोवर माथुर सोसाइटी के सदस्यों ने महान संगीतकार संगीतकार शंकर सिंह की पुण्यतिथि पर उनके सजाये गाने गाकर स्वराजंलि दी ।

विपुल माथुर ने  महान संगीतकार शंकर सिंह द्वारा संगीत से पिरोया गाना अहसान तेरा होगा  मुझ पर .....अपनी आवाज में गाकर याद किया । इसके बाद को सदस्यों में गाने की होड लग गयी और देखते ही देखते कब रात हो गयी पता ही नहीं चला ।एएफएम माथुर सोसाइटी के सांस्कृतिक सचिव अम्बे माथुर ने फलसफा प्यार का तुम क्या जानो, तुमने कभी प्यार ना किया , तुमने कभी इंतजार नहीं किया ......तुझे जीवन की डोर से बांध लिया है.... लिखे जो खत तुझे वो तेरी याद में .....अर्चना माथुर , अजी रूठ कर अब कहां......रवि शंकर माथुर  जाने कहां गये वो दिन कहते थे तेरी राहे में नजरों को हम बिच्छायेंगे......


विमल माथुर ओ मेहबूबा, ओ मेहबूबा तेरे दिल के पास ही हे मेरी .....अनिता माथुर चले जाना जरा ठहरो, किसी का दम निकलता है .......रात के हम सफर .......उदय शंकर माथुर दोस्त दोस्त ना रहां , प्यार प्यार ना रहा...... पुष्पेन्द्र माथुर सजनवा बेरी हो गए मैं भक्त हूॅ तुम हो भगवान, जय चित्रगुप्त भगवान .....ईला नाग बहारों फूल बरसाओं मेरा मेहबूब आया है , मेरा मेहबूब आया है ........दिल अपना ओर प्रित पराई .........



विनोद माथुर तेरी प्यारी प्यारी  सूरत को किसी की नजर ना लगे ......विनोद माथुर तेरी जीवन की डोर से बांध लिया है .........विपुल माथुर रूख से जरा नकाब उठा दो मेरे हुजूर जलवा एक बार फिर दिखा दो की बेहतरीन प्रस्तुतियों से सदस्यों का दिल जीत लिया ।


महान संगीतकार शंकर सिंह ने जाने कहाँ गये वो दिन, कहते थे तेरी राह में नज़रों को हम बिछायेंगे चाहे कही भी तुम रहो, चाहेंगे तुम को उम्रभर तुम को ना भूल पायेंगे का संगीत दिया । 




शंकर सिंह का जन्म 15 अक्टूबर, 1922 को हैदराबाद में हुआ. इनके पिता का नाम रामसिंह रघुवंशी था वो  रघुवंशी मूलत: मध्य प्रदेश के रहने वाले थे लेकिन वो परिवार समेत हैदराबाद में बस गए थे।KYASTHA TODAY