शिलालेखो का संरक्षण जरुरी: प्रो. माथुर

  

Udaipur उदयपुर, 19 अप्रैल (कायस्थ टुडे )।मेवाड़ इतिहास परिषद, उदयपुर (राजस्थान) की ओर से आयोजित संगो​ष्ठी में इतिहासकर प्रो. गिरीश नाथ माथुर ने कहा कि मंदिरों, चबूतरो, बावड़ीयो,धरोहरों पर लगे शिलालेखो का संरक्षण जरुरी है ।

मेवाड़ इतिहास परिषद, उदयपुर के अध्यक्ष प्रो माथुर ने कहा कि इतिहास में तिथि, काल-क्रम अनुसार सही जानकारियों को उपलब्ध कराने में ऐतिहासिक धरोहर चबूतरो, मंदिरों, खंडहरो, बावड़ियों के ऊपर लगे तत्कालीन शीलालेखो को चिन्हित कर उन्हें सुरक्षा देते हुए संरक्षण करना जरुरी है क्योंकि इतिहास लेखन में इन शिलालेख,ताम्र पत्र, पट्टे ,परगने मूल सामग्री होते हैं, जबकि मेवाड़ के ऐसे कई वीरान स्थलो पर यह सामग्री बिना संरक्षण के नष्ट हो रही है।

प्रो.माथुर  विश्व धरोहर दिवस के उपलक्ष में मेवाड़ इतिहास परिषद द्वारा  परिषद कार्यालय पर आयोजित "मेवाड़ की धरोहर शिलालेख, ताम्रपत्रों का अध्यन" विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षा कर रहे थे ।प्रो. माथुर ने ऐतिहासिक धरोहरो की सुरक्षा के साथ वहां लगे शिलालेखो के संरक्षण पर विशेष जोर दिया।

परिषद के महासचिव डॉ. मनोज भटनागर ने "उदयपुर स्थापना तिथि के लिए महत्वपूर्ण अम्बेरी गांव का पीपलाज माता मंदिर का शिलालेख विक्रम संवत 1616 व बेदला गांव के कार्तिक स्वामी मंदिर के खंडहर मे चबूतरे पर लगा शिलालेख विक्रम संवत 1626 का ऐतिहासिक महत्व" विषयक शोधपत्र का वाचन करते हुए इन ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण पर जोर दिया।


मुख्य अतिथि राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. गुणवंत सिंह देवड़ा थे।इतिहासकार डॉ. जे. के. ओझा, डॉ. राजेंद्र नाथ पुरोहित, डॉ. केलाश जोशी, अनुराधा माथुर ने धरोहरो के महत्व को बतलाते हुए इनके संरक्षण को आवश्यक बताया।संगोष्ठी का संयोजन शिरीनाथ माथुर ने किया।KAYASTHA TODAY