मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की करे पूजा हर रोज



चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल 2022 से शुरू होकर 11 अप्रैल 2022 तक चलेंगी । मान्यता है कि नवरात्रि में दुर्गा मां के 9 रूपों की पूजा करने से खास कृपा बरसती है। हर घर में नवरात्रि के दौरान घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है और कई लोग नौ दिनों का व्रत भी रखते हैं ।इस बार नवरात्रि घटस्थापना का मुहूर्त 2 अप्रैल 2022 शनिवार को सुबह 6 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।

नवरात्रि के नौ दिनों तक हर रोज मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर स्वरूप की पूजा का अलग-अलग महत्व और तरीका है। जानें किस तिथि के दिन मां के किस स्वरूप की पूजा की जाएगी।

 साभार कायस्थ टुडे के 1 अप्रैल 2022 के अंक से 


चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा – 02 अप्रैल 2022– मां शैलपुत्री की पूजा और घटस्थापना

चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन – 03 अप्रैल 2022– मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

चैत्र नवरात्रि तीसरा दिन – 04 अप्रैल 2022– मां चंद्रघंटा की पूजा

चैत्र नवरात्रि चौथा दिन – 05 अप्रैल 2022– मां कुष्मांडा की पूजा

चैत्र नवरात्रि पांचवां दिन – 06 अप्रैल 2022– मां स्कंदमाता की पूजा

चैत्र नवरात्रि छठा दिन – 07 अप्रैल 2022– मां कात्यायनी की पूजा

चैत्र नवरात्रि सातवां दिन – 08 अप्रैल 2022– मां कालरात्रि की पूजा

चैत्र नवरात्रि आठवां दिन – 09 अप्रैल 2022– मां महागौरी की पूजा, दुर्गाष्टमी

चैत्र नवरात्रि नवां दिन – 10 अप्रैल 2022 – रामनवमी

चैत्र नवरात्रि दसवां दिन – 11 अप्रैल 2022, नवरात्रि व्रत का पारण

कलश स्थापना का मुहूर्त 

नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि यानी कि पहले दिन 2 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 01 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक के बीच का समय कलश स्थापना के लिए शुभ है। वहीं कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 50 मिनट तक है। भक्त इस मुहूर्त में भी घट स्थापना कर सकते हैं।


नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर गंगाजल मिले पानी से स्नान करें। साफ कपड़े पहनें और फिर मंदिर साफ करें। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और इसपर मां की मूर्ति या चित्र लगाएं। अब साफ मिट्टी में जौ बोकर इस पर कलश स्थापित करें। इसके बाद मां का आह्वाहन करें फिर मंत्र और आरती का पाठ करें।  

हर नवरात्रि पर मां अलग-अलग वाहन पर सवार होकर पधारती हैं। पंडित जी के अनुसार, इस बार मां अश्व यानी कि घोड़े पर सवार होकर आएंगी। देवी भागवत पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि नवरात्रि में घोड़े पर मां का आगमन देश में शासन और सत्ता के लिए शुभ संकेत नहीं है। ऐसे में नवरात्रि पूजन के दौरान मां से शांति और स्थायित्व की कामना जरूर करें।नवरात्रि साल में चार बार आती है। चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और साल में 2 बार गुप्त नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में सामान्य भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए नौ दिन के व्रत और अनुष्ठान करते हैं, वहीं गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक तंत्र विद्या सिद्ध करने के लिए नौ रातों तक महाविद्याओं की पूजा-अर्चना और अनुष्ठान करते हैं।


नवरात्रि में मां के इन रूपों की करें पूजा, जानें मंत्र

माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के 9 दिनों में आप भी देवी के इन स्वरूपों की पूजा कुछ मंत्रों के जाप से कर सकती हैं।

चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा 2 अप्रैल 2022 को है। नवरात्रि व्रत कुल नौ दिन तक चलेंगे। नवरात्रि में पहले दिन से लेकर अंतिम दिन तक अलग -अलग देवियों की पूजा की जाती है। हर देवी का स्वरुप और महत्व अलग-अलग है। ऐसे ही देवियों की पूजा विधि और उन्हें प्रसन्न करने के मंत्र भी अलग -अलग है। आइए जानें किन मंत्रों के जाप से आप देवी का आशीर्वाद पा सकती हैं। 




शैलपुत्री-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शैलपुत्री देवी, देवराज हिमालय की बेटी हैं। यही मां नव दुर्गा का प्रथम रूप हैं। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा अर्चना की जाती है।शैलपुत्री का मंत्र-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।

मंत्र का फल -

मान्यता के अनुसार, इस मंत्र के जाप से शरीर निरोगी रहता है और बीमारियां पास नहीं आती हैं।

ब्रह्मचारिणी -

नवदुर्गा का दूसरा रूप मां ब्रह्मचारिणी हैं। इनके हाथों में कमण्डल और माला है। मान्यता के अनुसार, माता पार्वती के घोर तप करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। इसी कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी देवी पड़ा।ब्रह्मचारिणी माता का मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मंत्र का फल -

इस मंत्र के सटीक जाप से सौभाग्य का वरदान मिलता है।

मां चंद्रघंटा-

मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा रूप हैं। देवी अपने दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं और सिंह पर बैठी हुई असुरों के संहार के लिए तैयार रहती हैं।

मां चंद्रघंटा का मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। रहस्यम् शृणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने। श्री चन्द्रघण्टास्य कवचम् सर्वसिद्धिदायकम्॥मंत्र का फल -

इस मंत्र के प्रभाव से जातक के पाप और परेशानियों का क्षय होता है।

मां कुष्मांडा-

देवी दुर्गा का चौथा रूप कुष्मांडा देवी का है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण जगत जननी भी कहा जाता है। मां की आठ भुजाएं हैं जिनमें वे कई शस्त्र धारण करती हैं और मां सिंह पर सवार रहती हैं।कुष्मांडा माता का मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मंत्र का फल -

इस मंत्र के प्रभाव से जातक के यश में वृद्धि होती है और व्याधियों का नाश होता है।


स्कंदमाता-

स्कंदमाता मां नव दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। स्कंदमाता की गोद में शिव जी के पुत्र कार्तिकेय बैठे रहते हैं। स्कंदमाता को कार्तिकेय की मां कहा गया है।

स्कंदमाता का मंत्र-

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥मंत्र का फल -

ये मंत्र भक्तों को शुभ फल देने वाला और उनकी इच्छा पूरी करने वाला माना जाता है।




मां कात्यायनी-

कात्यायन ऋषि की साधना और तप से उत्पन्न होने वाली कात्यायनी देवी को मां दुर्गा का छठा रूप माना गया है। कात्यायनी की उपासना से पापों का नाश होता है।

मां कात्यायनी का मंत्र-

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ 3। कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।

मंत्र का फल -

विवाह में बाधा आ रही है तो इस मंत्र का जाप करें।


मां कालरात्रि –

मां कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। हाथ में खड्ग और नरमुण्ड धारण करने वाली कालरात्रि दुष्टों का नाश कर भक्तों की डर से मुक्त करने वाली मानी गई हैं।मां कालरात्रि का मंत्र-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊँ कालरात्रि दैव्ये नम:।

मंत्र का फल -

मान्यता है कि मंत्र के जाप से जातक को शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।

महागौरी -

नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरुप की पूजा का विधान है। मान्यता के अनुसार, तपस्या के कारण देवी का शरीर श्याम हो गया था लेकिन शिव जी ने जब उन पर अभिमंत्रित जल छिड़का तो वे पुनः गौर वर्ण हो गईं।

मां महागौरी का मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

मंत्र का फल -

ये मंत्र जातक की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है।मां सिद्धिदात्री-

दुर्गा माता का नवां रूप मां सिद्धिदात्री है। मान्यता है कि इनकी पूजा से सिद्धियों की प्राप्ति होती है साथ ही जीवन में सुख और सौभाग्य बना रहता है।





मां सिद्धिदात्री का मंत्र-

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

मंत्र का फल -

मान्यताओं के अनुसार इस मंत्र के विधिवत जाप से सिद्धियों की प्राप्ति होती है।चैत्र नवरात्रि पर मां का दिल से स्वागत करें और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करें।KAYASTHA TODAY