प्यार और सौहार्द जुटा कर
टावर में से सबको बुला कर
मस्तक चंदन तिलक लगा कर
गीतों में संगीत सजा कर
डीजे फ्लोर पे ठुमके लगा के
झूमे नाचे टोली
ऐसे मनाओ "होली" !
एकजुट सभी हो जायें
कायम हो भाईचारा
मीठी हो सबकी बोली
हर एक सबको प्यारा
हाथों में ले गुलाल सब
खेलें तिलक की होली
ऐसे मनायें होली !
सब वर्ग मिल के बैठें
बन जाये एक टोली
मिल जायें युवा सारे
संयत हो सबकी बोली
कोई खफ़ा ना होवे
ऐसी करो ठिठोली
ऐसे मनाओ होली !
मतभेद भूलकर सब
एक सूत्र में जुड़ें
सब साथ बैठ जायें
रंग प्यार के उड़ें
रंगों में सराबोर हो
बन जायें सब हमजोली
ऐसे मनाओ होली !
अपने दिलों में ऐसी
संवेदना जगायें
बच्चों को भी समझायें
जल को अधिक बचायें
करदें मिसाल कायम
उपयोगी बने होली
ऐसे मनाओ होली !
सब शुद्ध को अपनायें
मिलावट पे वार हो
मिलावट करने वाले
बिरादरी बाहर हों
सच्चे गुलाल से ही
बने प्यार की रंगोली
ऐसे मनाओ होली !
रच जायेगी गुलाल भी
ना कोई निशान होगा
लगे प्यार से गुलाल तो
मन भी शुद्ध होगा
भीगे ना कोई कुर्ता
भीगे ना कोई चोली
ऐसे मनाओ होली !
होगा कठिन ये जीवन
जल के बिना ये जानें
जल व्यर्थ ना बहायें
मोल जल का जानें
दोहन यूं ही किया तो
धरा भी देगी गाली
धरा के जल की झोली
कहीं हो ना जाये खाली
ऐसे मनाओ होली !
ऐसे मनाओ होली !!
: चित्रांश प्रदीप माथुर