प्रताप के अभिन्नय थे भामाशाह: डॉ. भटनागर

Udaipur उदयपुर 20 जनवरी।Kayastha Today महाराणा प्रताप के संघर्षमय जीवन में सर्वस्व न्योछावर कर प्राणों की आहुति देने वालों की कतार लंबी है मगर संकटकालीन स्थिति में प्रताप को 2500000 रुपए व 20000 अशरफिया भेंट कर आर्थिक रूप से सहयोग देकर मेवाड़ के लिए करीब 15 वर्षों तक सैन्य प्रबंधन की व्यवस्था कर मातृभूमि की रक्षा में प्रताप के अभिन्न भामाशाह विशिष्ट स्थान रखते हैं।

महाराणा प्रताप की सेना के प्रधानमंत्री भामाशाह का जन्म 28 जून 1547 ईस्वी को हुआ था व निधन माघ शुक्ला 11, विक्रम संवत 1656 अर्थात16 जनवरी 1599 ईसवी सन को हुआ,इतिहास में भामाशाह का उल्लेख हल्दीघाटी के युद्ध में हारावल दस्ते के प्रमुख व दिवेर के विजय युद्ध के अलावा महाराणा प्रताप के अनेकों युद्ध में प्रताप के अभिन्न के रुप में मिलता है।

 उक्त विचार मेवाड़ इतिहास परिषद के महासचिव डॉ.मनोज भटनागर ने दानवीर भामाशाह की पुण्यतिथि के उपलक्ष में परिषद द्वारा आयोजित "प्रताप के अभिन्न भामाशाह" विषयक ऑनलाइन संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में 

अध्यक्ष पद से बोलते हुए इतिहासकार प्रो. गिरीश नाथ माथुर ने त्याग एवं तलवार के धनी दानवीर भामाशाह विषय पर बोलते हुए प्रसिद्ध इतिहास वेत्ता लेखक डॉ. राजेंद्र प्रकाश भटनागर की पुस्तक "भामाशाह एवं ठाकुर ताराचंद" का उल्लेख करते हुए भामाशाह के इतिहास के साथ प्रताप से जुड़ी कई घटनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने भामाशाह के जीवन इतिहास में और अधिक शोध कार्य की आवश्यकता पर जोर दिया।

संयोजक शिरीष नाथ माथुर ने बताया कि भामाशाह उदयपुर में राज महलों के पास गोकुल चंद्रमाजी मंदिर के पास दीवान जी की पोल के नाम से जानी जाने वाली हवेली में रहते थे, इनके पूर्वज मूल रूप से तोमर वंशी राजपूत थे जिन्होंने बाद में जैन धर्म अंगीकार कर लिया था।

राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ के अध्यक्ष गोपाल राम शर्मा ने कहा कि भामाशाह ने मेवाड़ की सैन्य टुकड़ियों का नेतृत्व करते हुए स्वतंत्र रूप से कई बार शाही इलाकों पर आक्रमण कर स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए धन इकट्ठा कर प्रताप की स्वतंत्रता संग्राम की दीर्घकालीन लड़ाई में सहयोग कर इतिहास में अपना नाम स्थापित किया है इसलिए आज प्रत्येक दानदाता को भामाशाह के नाम से पुकारा जाता है।

डॉ.संगीता भटनागर,  वेद्या सावित्री देवी भटनागर ,अनुराधा माथुर,पूर्व अध्यक्ष डॉ. गुणवंत सिंह देवड़ा(राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ)  ने भी भामाशाह के स्वदेश प्रेम, दानवीरता एवं पराक्रम पर प्रकाश डाला।Kayastha Today