अजमेर में भगवान श्रीचित्रगुप्त जी की पूजा अर्चना


Ajmer अजमेर, 11 नवम्बर , (कायस्थ टुडे) । पांच दिवस के दिपोत्सव के अंतिम दिन, "यम द्वतीया" को कायस्थ समाज ने भगवान श्री चित्रगुप्तजी व यम देवता की पूजा, कलम-दवात के साथ कर कायस्थों के पितामह श्रीचित्रगुप्त भगवान को याद किया।


अजमेर में समाज की सामुहिक पुजा कायस्थ मौहल्ला स्थित प्रभुभवन के चित्रगुप्त मंदिर में सम्पन्न हुई, इस पुजा में समाज ने बडे उत्सहा से भाग लिया।प्रभुभवन मेंLord Shri Chitraguptji भगवान श्री चित्रगुप्त जी का यह मंदिर अजमेर के कायस्थ समाज को जयपुर के मशहूर जयलाल मुंशी के परिवार के वंशज श्री प्रभुनारायण जी ने भेट किया था। वर्ष 1939 में श्री प्रभुनारायण जी अंग्रेजों की मशहूर काँलेज, मेवो काँलेज में सेवारत थे, तब उन्होने क्रिस्चियन मिसनरी से यह भवन क्रय कर यहां भगवान श्री चित्रगुप्त जी का मंदिर निर्माण करवाकर यह भवन समाज को भेट किया, तब से ही हर वर्ष यहां भगवान श्रीचित्रगुप्त जी की पूजा कलम-दवात के साथ  बडी धूमधाम से मना रहा है। प्रभूभवन मंदिर एक ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिसके अध्यक्ष, शोभाग नारायण माथुर व सचिव, विष्णु प्रशाद माथुर है।कोरोना काल के प्रतिबंधों के कारण ये पूजा उन वर्षों में प्रतिकात्मक हुई, इस वर्ष समाज ने बडी उत्साह के साथ यहां पुजा-अर्चना की।



प्रभुभवन ट्रस्ट के सचिव विष्णु माथुर ने बताया कि यह पुजा, पूर्व डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर नरेंद्र माथुर की अध्यक्षता में हुई । इस पूजा में मुख्य अतिथि श्याम नारायण माथुर रहे। मंदिर के पुरोहित ने विधी विधान से सभी भक्तों से पुजा कराई और आरती की।पूजा से पहले पूरे मंदिर परिसर को सेनेट्राईज किया गया, पूजा में आने वाले श्रृध्दालुओ को भी सेनेट्राईज कर जिन्होंने मास्क नहीं लगा रखे थे, उन्हें मास्क भेट कर , कोरोना से पूरे बचाव के साथ सामुहिक पूजा सम्पन्न कराई गई।


पूजा पश्चात समाज की निस्वार्थ सेवा करने में अग्रणी रहने वाले अनिल (डब्बू जी), प्रेम शंकर नारनोलिया, नरेश माथुर,  राकेश राजोरिया का सम्मान किया गया।पूजा मेंं समाज के गणमान्य लोग, सुनिल माथुर, वैभव माथुर, अमन माथुर,महेंद्र माथुर,सुमेश माथुर,एडवोकेट मनीष माथुर आदि कई भक्तगण उपस्थित रहे । प्रभुभवन के ट्रस्टी श्री अचल सिमलोत,प्रेम शंकर नारनोलिया, प्रहलाद माथुर, नरेश नारनोलिया , राजेन्द्र माथुर ने संपूर्ण व्यवस्था को अंजाम दिया। परशाद के साथ श्रृध्दालुओ को पैन व की-चैन भेट किया।


ट्रस्ट के सचिव , पूर्व पार्षद विष्णु प्रशाद माथुर ने आभार व्यक्त करते हुए समाज से आह्वान कि प्रति वर्ष होने वाली इस पुजा में समाज बंधु बिना किसी निमंत्रण के परिवार के साथ  सम्मिलित होकर समाज की एकता का परिचय दें। वर्तमान में  हर समाज अपनी एकता का प्रदर्शन कर  राजनेति लाभ प्राप्त कर रहा है। कायस्थ समाज को  भी ऐसे प्रयास करने चाहिए।


विश्व में जहाँ जहाँ कायस्थ परिवार रहते है,आज हर घर में परिवार सहित कलम-दवात की पूजा की गई।यम द्वतीया के दिन ' कलम-दवात' की पूजा करने की प्रथा रामायण काल से चली आ रही है। पौराणिक कथानुसार भगवान राम के राज्यअभिषेक में भुलवश भगवान श्रीचित्रगुप्त को निमंत्रण नहीं भेजा गया। इससे रुष्ठ होकर जिवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले भगवान श्रीचित्रगुप्त ने कलम-दवात को विश्राम दे दिया, एवं जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा लिखना बंद कर दिया। इससे ब्रह्माण्ड में त्राही-त्राही मच गई। जब भगवान श्रीराम चन्द्र जी को  भगवान श्रीचित्रगुप्त के रुष्ठ होने का ज्ञान हुआ तो वे भगवान श्रीचित्रगुप्त जी से माफी मांगने गए और उनको मनाया। तब श्री चित्रगुप्त भगवान ने कलम-दवात की विधीवत पूजा की और कलम हाथ में लेकर अपना कार्य प्रारंभ किया, ब्रह्मांड में शांती हुई। तब से भगवान श्रीचित्रगुपत जी के वंशज समस्त कायस्थ, यम-द्वतीया को कलम - दवात की पूजा घर घर में करते है और समाज सामुहिक पुजा भगवान श्रीचित्रगुप्त जी के मंदिरों में करता है।