जयप्रकाश के सिद्धांतों से हमें सीख लेनी ही होगी

                                                        जयप्रकाश नारायण  42 वी पुण्यतिथि

देश, समाज की ज़रा भी जानकारी रखने वाला व्यक्ति जय प्रकाश नारायण के नाम से न केवल सुपरिचित होगा, बल्कि इस लोकनायक के बारे में और अधिक जानने समझने को उत्सुक भी होगा. मेरा जन्म चूंकि पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ है, जिसे जय प्रकाश नारायण की जन्मस्थली भी कहा जाता है, इसलिए मेरी उत्सुकता इस महान व्यक्तित्व के बारे में और भी रही है. हालाँकि, इनके जन्मस्थान के बारे में भ्रांतियां हैं और बिहार के सारन जिले का सिताबदियारा गांव भी इनके जन्मस्थान का दावेदार कहा जाता है.

 खैर, यह विवाद अपनी जगह है, लेकिन इस बात में कोई विवाद नहीं है कि जेपी के सबसे सक्रीय और विलक्षण शिष्य के रूप में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पहचान रही है, जो बलिया जिले से ही जन्म और आजीवन राजनीति से जुड़े रहे हैं. न केवल स्थान से इनका सम्बन्ध रहा, बल्कि जेपी के सिद्धांतों का भी चंद्रशेखर ने पूरे जीवन पालन करने का निश्चय बनाये रहे. 

दिलचस्प बात यह भी है कि जब देश में आपातकाल लगा और पुलिस जेपी को गिरफ्तार करने गांधी शांति प्रतिष्ठान पहुंची तो वह सो रहे थे. रात का समय होने के बावजूद, जेपी के अनेक सहयोगियों को इसकी सूचना मिली, लेकिन जब जेपी को पुलिस अपनी जिप्सी में ले जा रही थी तब उनके पीछे पीछे चंद्रशेखर ही थे. गिरफ्तारी के लिए जैसे ही जेपी पुलिस की कार में बैठे, उसी वक्त चंद्रशेखर भी वहां पहुंचे थे. जेपी के इस शिष्य ने संसद मार्ग थाने में अपने गुरु के साथ जाकर वहीं अपनी गिरफ्तारी भी दी थी! आप सोचेंगे कि यह लेख चंद्रशेखर के बारे में लिख रहा हूँ या जेपी के बारे में, तो यहाँ स्पष्ट करना जरूरी समझता हूँ कि जेपी के साथ उनके तमाम शिष्यों की कहानी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जिसने आगे भारतीय राजनीति को प्रभावित किया.

 चाहे उनके पुराने समाजवादी शिष्य रहे हों या फिर भाजपाइयों के रूप में नए शिष्य! सैद्धांतिक रूप से देखा जाय तो, लोकनायक द्वारा प्रतिपादित सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल थीं, जिनमें राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति का नाम था. सम्पूर्ण क्रांति का प्रभाव इतना व्यापक था कि केन्द्र में किसी पहाड़ की तरह मजबूत कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया.

 जय प्रकाश नारायण जिनकी हुंकार पर नौजवानों का हुजूम सड़कों पर निकल पड़ता था, यह उनका ही प्रभाव था कि बिहार से उठी सम्पूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी और जेपी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन गए.

 लालू प्रसाद, रविशंकर प्रसाद, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान या फिर सुशील मोदी, आज के सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे जिन्होंने आगे चलकर भारतीय राजनीति को अपने-अपने ढंग से प्रभावित किया. अगर प्रकाश की जय करना है तो जयप्रकाश के सिद्धांतों से हमें सीख लेनी ही होगी और वह उनके छद्म शिष्यों के वश की बात तो नहीं ही है.