प्रसंग आरक्षण: स्वंय को जांचे फिर करे बात ..........

 


 उत्तर प्रदेश में कायस्थ समाज को पिछडे वर्ग में  आरक्षण देने का सगूफा छोडने के साथ ही पढी लिखी कौम के नेताओं ने आरक्षण को लेकर  लम्बी बहस शुरू कर दी है । अच्छा है चर्चा शुरू हुई लेकिन यह नहीं सोचा की यदि एक नेता ने स्वीकार भी कर लिया तो दूसरा नेता मान जाएगा  क्या ??

 समाज को पहले एकजूट होने की बात करनी चाहिए । वर्ष दर वर्ष बीत गये लेकिन पढा लिखा समाज आज तक एक नहीं हो पाया । उत्तर प्रदेश में तो विधान सभा चुनाव होने है इसलिए जातिगत मतदाताओं को रिझाने के लिए अभी कई तीर चलेंगे । अभी तो केवल शुरूआत हुई है । वैसे भी उत्तर प्रदेश में कायस्थ समाज की जो राजनीतिक स्थिति है वह किसी से छिपी हुई नहीं है । 

केन्द्र की हवा प्रदेशों में पहुंचती है । जब केन्द्र में रविशंकर प्रसाद को घर बैठा दिया हो ऐसे में क्या उत्तर प्रदेश में संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में कायस्थ समाज को प्रतिनिधित्व मिलेगा , असंभव ?? आरक्षण को लेकर भी समाज में विवाद हो गया है । आरक्षण होगा या नहीं यह सब हवा में है लेकिन पढी लिखी कौम में एक दूसरे को नीचा दिखाने का दौर चल गया है ।

 राजनैतिक पार्टियां भी यहीं चाहती है । घर में लडते रहे ताकि घर से बाहर निकल नही सके । उत्तर प्रदेश में कायस्थ समाज का अच्छा वोट बैंक होने के बावजूद राजनैतिक पार्टियां आपकी अनदेखी कर रही है , तो अन्य राज्यों में क्या होगा , आसानी से समझा जा सकता है ।

 प्रदेश में कायस्थ समाज के लोग यदि राजनीतिक तौर पर सुद्ढ है तो वह अपने प्रबंधकीय कारणों से है । सार्वजनिक मंच पर समाज को एकजुटता दिखाने की जरूरत है । एकजुटता की बौनी स्थिति  मध्य प्रदेश के मध्य क्षेत्र बिजली वितरण निगम द्वारा आराध्य देव श्री चित्रगुप्त जी के विवादित कार्टून जारी करने के बाद सामने आ गयी ।

 कहने तो लाखों संगठन है लेकिन विरोध दर्ज करवाने वाले संगठनों की संख्या दहाई तक भी नहीं पहुंची ।समाज में एका  होता  तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह समाज के लोगों को बुलाकर स्वंय खेद व्यक्त करते और जिम्मेदार लोगों पर बिजली गिराते । लेकिन ...... कहने की जरूरत नहीं है । आप स्वंय समझदार है ।

कायस्थ टुडे के 1 सितम्बर 2021 के अंक से