पुस्तक-चर्चा एक देश बारह दुनिया -लेखक: शिरीष खरे



देश के उपेक्षित लोगों की आवाजों को तवज्जो


पिछले कुछ वर्षों में हमारे शहरों और दूरदराज के गांवों के बीच भौतिक अवरोध तेजी से मिट रहे हैं, तब एक सामान्य चेतना में गांव और गरीबों के लिए सिकुड़ती जा रही है। ऐसे में एक ग्रामीण पत्रकार शिरीष खरे की 'राजपाल एंड सन्स, नई दिल्ली' से 'एक देश बारह दुनिया' में देश के बारह जगहों के उपेक्षित लोगों की आवाजों को तरहीज दी गई है। इसमें लेखक ने सांख्यिकी आंकड़ों के विशाल ढेर में छिपे आम भारतीयों के असली चेहरों पर रोशनी डाली गई है। पुस्तक में देश के सात राज्यों के कुल बारह रिपोर्ताज शामिल किए गए हैं, जो वर्ष 2008 से 2017 तक की अवधि में भारत की आत्मा कहे जाने वाले गांवों से जुड़े अनुभवों को साझा किया गया है।


इस दौरान महाराष्ट्र में कोरकू जनजाति और तिरमली व सैय्यद मदारी जैसी घुमन्तु या अर्ध-घुमन्तु समुदाय बहुल क्षेत्रों, मुंबई, सूरत जैसे बड़े शहरों में बहुविस्थापन की मार झेलनी वाली बस्तियों, नर्मदा जैसी बड़ी और सुंदर नदी पर आए नए तरह के संकटों के अलावा छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ के बस्तर, राजस्थान के थार और मराठवाड़ा के संकटग्रस्त गांवों के बारे में विस्तार से विवरण रखे गए हैं। लेखक अपनी प्रस्तावना में लिखते हैं कि उन्होंने अधिकांश पात्र और स्थानों के नाम ज्यों के त्यों रखे हैं।


पुस्तक: एक देश बारह दुनिया

लेखक: शिरीष खरे

प्रकाशक: राजपाल एंड सन्स, नई-दिल्ली

पृष्ठ: 208

मूल्य: 196 (पेपर-बैक)