शिवलाल एवं सिरहमल जी को शत शत नमन्


आज 30 जुलाई को शिवलाल जी एवं सिरहमल जी की पुण्यतिथि है। 


शिवलाल जी ने वर्ष 1951 में गवर्नमेंट हाई स्कूल के कुँए में  20-25 छोटे लड़कों को डूबने से बचाते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी थी । 


शिवजी के साथ मुझे उनके पिता स्व. सिरहमलजी साहब की याद आ गई। उस समय कुछ ऐसी ऐसी धारणा प्रचलित थी कि हम कायस्थ लोग कलम के व विद्या के सिपाही हैं। हम सफल प्रोफ़ेसर, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील-बैरिस्टर, प्रशासक तो बन सकते हैं, व्यापार करने की क्षमता हम लोगों में नहीं होती है।


उस ज़माने में माथुर ट्रेडिंग कंपनी एक शेयरहोल्डर्स की कंपनी स्टेशनरी के व्यापार के लिए बनाई गई थी जो बहुत लंबे समय तक नहीं चल सकी और लिक्वीडेशन में चली गई थी। उसी के समानांतर सुखदेव प्रसादजी बैरिस्टर साहब के परिवार ने भी स्टेशनरी की ही उदावत एण्ड कंपनी बनाई थी वह भी अंततः बंद हो गई थी। बैरिस्टर गोविंद प्रसादजी ने राजपूताना फ़िल्म कंपनी बना कर फ़िल्म उद्योग में किस्मत आज़माई थी पर दुर्भाग्य से वे भी बड़ा नुकसान उठा कर असफल हो गए। ऐसे में हम लोगों के व्यापार में अक्षम होने की धारणा ठीक ही लगती थी।


पर उन्हीं परिस्थितियों में सिरहमलजी साहब ने नौकरी करते हुए, अपने पुत्रों के नाम से नन्दलाल शिवलाल के नाम से एक स्टेशनरी की दुकान आरंभ की। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने इस व्यापार में सफलता पाई। उनके बाद यह दुकान उनके बड़े पुत्र नन्दलाल जी ने और फिर उनके पुत्रों ने सँभाली। अजमेर की पुरानी मंडी में आज भी यह दुकान शादी के कार्ड आदि के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रकार यह परिवार एक मिसाल बन गया है।


इसके बाद अजमेर के कायस्थों में अनेक दूसरे परिवारों ने उद्योग-व्यापार में प्रवेश किया। इनमें स्व. स्वरूप नारायणजी का नाम अग्रणी है जिन्होंने एस एन माथुर एण्ड कंपनी के नाम से फ़ैब्रीकेशन का उद्योग स्थापित किया था। उनके बाद उनके पुत्र नवनीत मोटर्स के नाम से अजमेर व उदयपुर में ऑटोमोबाइल व्यापार मे भी आगए। अब उनके पौत्रों के हाथ में आते आते उनके व्यापार ने वर्ल्डवाइड मशीनरी सौल्यूशन्स के रूप में अंतरराष्ट्रीय रूप ले लिया है।


ख़ुशी की बात है कि आरंभिक प्रयत्नों से प्रेरणा लेकर  वर्तमान में हमारे समाज के अनेक परिवार उद्योग-व्यापार में सफल हैं।


श्याम नारायण माथुर