नज़ारे
                                                               

                                                  प्रसंग : विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस 28 जुलाई ।     



नज़ारो को अपनी नज़र लग ना जाए 

नज़ारों को नज़रों में ही रहने देना 


नज़रों से ना कोई गुस्ताखी करना 

गुस्ताखी की कोई माफी ना होगी 


नज़ारे ना होंगे तो हम भी ना होंगे 

जो दोनों ना होंगे तो फिर कौन होगा 


संसार का जाने क्या हाल होगा 

खामखाँ का इक बवाल होगा

 

तो खुद को नियमों के आधीन कर लो 

नज़ारों की रक्षा का संकल्प कर लो 


नज़ारों कि सोहबत से तबीयत खिलेगी 

नज़ारों से यारी भी क्या खूब होगी 


नज़ारों को ना अपनी नज़र लगाना 

नज़ारों को बस अपनी नज़र में बसाना 


तुषार माथुर