कायस्थ परिवारों का उतरोत्तर विकास कैसे संभव ??

 

इतिहास में कायस्थों का नाम व प्रभाव सदैव से अनुकरणीय ही रहा है तथा हमारे पूर्वज नौकरी के प्रति सदैव वफादर एवं कर्तव्यनिष्ट रहे है तथा उन्होंने जीवन जीने की कला को समझा और कम आमदनी में भी शानदार जीवन यापन करने की मिसाल अन्य समाजों में भी छोडी जो आज भी बडे ही सम्मान और शालिनता क साथ कायस्थों को सम्मान प्राप्त हो रहा है । 

कायस्थ अपने अपने क्षेत्र में प्रत्येक कायस्थ अपनी उपलब्धियों के द्वारा नये आयाम स्थापित कर रहा है। किन्तु आज भी कायस्थ समाज को शासन की दृष्टि से देखा जावे तो हम अपने आप को शून्य पर पाते है और हमारा अस्तित्व अन्य समाजों की तुलना में कमनजर आता है । हम कायस्थ वर्तमान में भी कोई भी कार्य समाज के बल पर स्वयं का उत्थान करने का विश्वास उत्पन्न नहीं कर पाये चाहें वह राजनैतिक, व्यापारिक एवं योग्यता के आधार पर मिलने वाले पदों से हम निरन्तर वंचित होते जा रहे है । 



कायस्थ समाज द्वारा भी आज भी सरकारी नौकरी करने वाले को समाज में मान्यता दिया जाना ही एक मात्र कारण है। अपनी योग्यता के बल पर व्यापार उद्योग एवं प्रोफेशनल व्यक्तियों की छवि सम्मान में अभी तक बढोत्तरी नहीं हुई है । इसके साथ् ही समाज से मिलने वाला प्रोत्साहन, सहयोग एवं सम्पर्क का लाभ देने में समाज के सदस्य पीछे है। यदि कोई अपनी मेहनत, योग्यता एवं अन्य समाजों के सहयोग से किसी मुकाम पर पहुचता है तब भी समाज के द्वारा जो विशिष्ट सहयोग एव सम्मान नहीं मिलने के कारण हमारे समाज का व्यक्ति हम से मुखर हो जाताहै। 

समाज को आगे ब-सजयाने के लिये हमें स्वंतत्र रूप से कार्य कर रहे प्रोफेशनल चिकित्सक, इंजीनियर, आर्टिटेक, निर्माता,अधिवक्ता व अन्य तरह की व्यापार कर रहे व्यक्तियों को हमारे सभी के सम्पर्क का लाभ देना होगा। उदाहरण के लिये यदि कोई किसी वस्तु का व्यापार कर रहा है तो हमें जरूरत नहीं होने पर भी हमारे सम्पर्क का लाभ उस व्यक्ति को देना चाहिए जिससे उसका व्यापार का विस्तार हो और वहव्यापार में जम सके।

 मेरा अनुभव यह रहा है कि कोई भी वस्तु अथवा सेवायें अन्य समाजों के व्यक्ति समाज में हीरखते है। उदाहरण के लिये दुकान खुलने के बाद एक हजारग्राहक तो उसके समाज से आ जाते है तो वह हमारे मुकाबले में व्यापार अथवा सेवाओं में जल्दी स्थापित हो जाता है  ।जबकि हमारा समाज इस मामलें में बिलकुल सहयोगात्मक रूख अभी भी नहीं बना है। 

इसलिये हमारे समाज के व्यापारी,निर्माता, प्रोफेशलन उतनी कामयाबी नहीं मिली जितनी अन्य समाज के व्यक्ति को मिलती है ।प्रशासनिक पद पर पहुंचने वाला व्यक्ति भी इस प्रकार की सोच नहीं रखने के कारण किसी प्रकार का कोई सकारात्मक योगदान समाज को उठाने में नहीं दे पाता तथा साथ ही हमारी सोच बडे पद पर आसीन व्यक्ति से लाभ उठाने की कला कौशल भी हमारे पास नहीं है । 



बल्कि किसी प्रकार की योजना व अन्य व्यापारिक अनुबन्ध नियमों इत्यादि से परिपूर्ण फाईल भी हम कभी भीतैयार कर उस व्यक्ति को नहीं सौंपी जिससे वह समाज में अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर कुछ योगदान दे सके। समाज के पदाधिकारियों द्वारा उच्च पदासीन अधिकारी को केवल मात्र में सामाजिक समारोह में मुख्य अतिथि् बनने के अतिरिक्त ठोस कार्यक्रम नहीं बनाये जाते तथा उसे उसकी क्षमता एवं मार्गदर्शन के अभाव के कारण उच्च पदासीन अधिकारीभी समाज के लिये अपना योगदान देना चाहता है । लेकिन अपने आपको असहाय महसूस करता है । कोई भी व्यक्ति अपने भविष्य को खराब करके अपने पद की गरिमा को खराब नहीं करेगा।

समाज के उत्थान के लिये सभी वर्गों को आगे आना होगा और राजनैतिक क्षेत्र में भी योग्य व्यक्तियों का चयन कर उन्हें समाज की ओर से प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्रदान करना होगा तथा छोटी-ंउचयछोटी बातों पर किसी सक्षमव्यक्ति की कमियाँ ना निकालते हुये अपने अहंकार को कम करते हुये अतिरिक्त सम्मान प्रदान करना पडेगा जिससे समाज के सक्षमव्यक्ति इस दिशा में और अधिक सहयोग प्रदान करेंगे।

 समाज में कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों का बहुत योगदान रहा है तथा जो भी व्यक्ति समाज के क्षेत्र में कार्यकर रहे है और उनकी उपलब्धियों एवं प्रयासों का सार्वजनिक रूप से सम्मान करना हम सब का दायित्व होगा तथा जो व्यक्ति समाज में अपने-ंअपने क्षेत्र में समाज के प्रति उत्साह पूर्वक तथा जूनून के साथ कार्य कर रहे है ।उनकी बिना किसी आलोचना के उनके कार्य को पूर्ण मान्यता एवं सामाजिक स्तर का सम्मानप्रदान करना हमारा कर्तव्य होना चाहिये तथा साथ ही वरिष्ठ नागरिक एवं सेवानिवृत अधिकारियों के अनुभवों को समाज के उत्थान में योगदान लेना चाहिये ।

क्योंकि आम समाज का सदस्य अपनी व्यस्तता मजबूरी एवं सामाजिक कार्य सेरूचि नहीं रखता है तो समाज में जो भी व्यक्ति आगे आकर समाज को अपना समय देकर कार्य कर रहा है तो उसकी सभी समाजके सदस्यों द्वारा सराहना की जानी चाहिये तथा आपस मेंमैत्री भाव एवं एक दूसरे के लिये सम्मान की भावना जागृत करने से ही हमारे समाज का उत्थान हो सकेगा।


(देवेन्द्र मोहन माथुर) एडवोकेट सी-ं144, मंगल मार्ग, बापूनगर, जयपुर - 302015 मो 09414050984