ईश्वर दत्त माथुर ने ढूंढाड़ के लोक गीतों की छंटा बिखेरी

जयपुर, 21 जुलाई( कायस्थ टुडे) । नेट-थियेट कार्यक्रमों की 100वीं श्रृंखला में ढूंढाड़ अंचल के प्रचलित और लोकप्रिय लोक गीतों की अविरल बयार बही। प्रसिद्ध लोकगीत नाका दो जोड़ी का मोडाला, चाले क्यू ना खेत में करेला तोडांला ने ढूंढाड पूरा संस्कृति को फिर से जन-जन तक पहुंचाया।


नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि लोक गायक , रंगकर्मी और लोक कलाओं के मुखर कलाकार ईश्वर दत्त माथुर में ढूंढाड़ अंचल में गाए जाने वाले लोकप्रिय ढूंढाड़ गीतों को गाकर पुरानी संस्कृति की याद ताजा की। माथुर ने सर्वप्रथम गणेश जी को मनाकर कार्यक्रम की शुरू किया। उसके बाद मुर्गो बोलगो पटेलण झट जाग तो सरी सुणाया तो दर्शन वाह-वाह कर उठे। ढूंढाडी लोकगीत मेथी को तो ब्याव रचो छ करेला जी बींद बन आया के बाद हिचकी, मोरिया, चाव चाव में भूल गई फूलां की साड़ी जैसे लोकप्रिय गीतों से ऑन लाइन जुड़े दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। साथ लोक गायक ईश्वर माथुर ने अपनी पुरकशिश आवाज में लोक भजन सुनाकर मंत्रमुग्ध किया।


इनके साथ वीरेंद्र सिंह उर्फ नगीना के ढोलक की थाप, तबले पर श्री नवल डांगी की तिहाई, हारमोनियम पर शेर खान की सरगम, वायलिन पर गुलजार हुसैन के तारो की खनक और मजीरे पर गिरधारी शर्मा की झनक असरदार संगत ने ऐसा माहौल बनाया की लोग लोकगीतों की बयार में बह गये। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध उद्घोषक प्रिंस रूबी ने किया।