हमेशा याद आएंगे विष्णु माथुर

  


अजमेर,14 फरवरी । विष्णु माथुर नहीं रहे।आज सुबह जिसे भी ये खबर मिली एक बार तो वह उस पर यकीन नहीं कर पाया। सरल स्वभाव,सादा जीवन,हंसमुख,हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहने वाले विष्णु भाईसाहब का निधन कायस्थ समाज के लिए ही नहीं, बल्कि शहर के सामाजिक, राजनीतिक एवं धार्मिक क्षेत्र के लिए भी बड़ी हानि है। कायस्थ समाज के तो खैर वह स्तम्भ ही थे। आर्मीमैन रहे 78 साल की उम्र में भी उनकी सक्रियता युवाओं के लिए एक सबक हो सकती है।

      विष्णु माथुर ने कायस्थ समाज के लिए इतना कुछ किया है कि उसे एकाएक बताना संभव नहीं है। लेकिन उन्होंने बीजासन माता के थान, खोबरा भैंरोनाथ के मंदिर के विकास एवं इन्हें आम लोगों की आस्था का केंद्र बनाने में बहुत योगदान दिया है। यह उन पर भगवान का आशीर्वाद ही माना जाएगा कि उसने उन्हें इस काम के लिए चुना। बीजासन माता के थान के विकास के लिए वो हमेशा लगे रहते थे। यहां लगने वाले माई साते के मेले की तो इतनी मान्यता है कि लोग घंटों लाइन में खड़े होकर  दर्शन किया करते थे और मेले में विष्णु माथुर अपनी टीम के साथ सुबह से रात तक व्ववस्थाएं बनाने में  लगे रहते थे । पिछले सप्ताह इस मेले में हजारों लोग पहुंचे थज। नवरात्रि में यहां फूल बंगले आयोजित करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी । खोबरा भैंरोनाथ मंदिर के विकास और पुनर्निर्माण में भी उनकी बड़ी भूमिका थी।वह चाहते थे कि इसे स्मार्ट सिटी योजना में शामिल करके पर्यटन स्थल का दर्जा देकर विकास किया जाए और इसके लिए वे अंतिम समय तक लगे रहे।पिछले सप्ताह  ही  उन्होंने इस संबंध में जिला कलक्टर को ज्ञापन भी दिया था। 

         पुष्कर रोड स्थित कायस्थ समाज के श्मशान स्थल की तो विष्णु माथुर ने काया ही पलट दी थी। उन्होंने इसके लिए सरकारी संस्थाओं,बल्कि अपने संबंधों के जरिए व्यक्तिगत रूप से भी चंदा इकट्ठा करके इसका विकास कराया। इस श्मशान में इतनी हरियाली है कि यह किसी बगीचे जैसा लगता है। अजमेर में इस जैसा विकसित और श्मशान स्थल शायद ही कोई होगा। नगर परिषद के सभापति रहे वीर कुमार ने कायस्थ श्मशान स्थल के विकास को देखकर विष्णु माथुर 

को प्रस्ताव दिया था कि वह शहर भर के सभी शमशान स्थलों को श्मशान स्थल की तरह विकसित करने  के लिए योजना बनाएं। उसके लिए नगर परिषद धन उपलब्ध कराएगी। लेकिन दुर्भाग्य से ये योजना बनती,उससे पहले ही वीर कुमार का निधन हो गया। सालों पहले जब विष्णु माथुर जब खाईलैंड मार्केट  स्थित रतन होटल के प्रबंधन का कार्य देखते थे। तब रोजाना रात को वहां कांग्रेस और भाजपा के उस वक्त के बड़े नेताओं  की बैठक जमती थी और राजनीतिक मतभेद भुलाकर शहर के विकास की बात की जाती थी। 

      विष्णु माथुर राजनीतिज्ञ थे लेकिन उन्होंने कभी राजनीति नहीं की। उनके सभी पार्टियों में अभिन्न मित्र थे जो उनका और सम्मान करते थे। वह नेताओं की एक दूसरे से  बुराई करने में भी यकीन नहीं करते थे। वो दूसरे की रेखा मिटाने के बजाय खुद की रेखा बड़ी करने में विश्वास करते थे। सालों तक कांग्रेस के लिए काम करने के बावजूद जब उन्हें 1995 में नगर परषद के चुनाव पार्टी ने टिकट नहीं दिया,तो उन्होंने वार्ड 30 से निर्दलीय चुनाव लड़ा और पहली बार पार्षद बने। उसके बाद उनकी लोकप्रियता को देखते हुए साल 2000 व 2005 में  कांग्रेस ने उन्हें वार्ड 50 एवं वार्ड 38  से टिकट दिया और वो तीनों बार अलग-अलग क्षेत्र  से लड़ने के बावजूद जीतते रहे। लगातार 15 साल पार्षद रहने वाले वह कांग्रेस के चुनिंदा नेताओं में शामिल है और इसका कारण मतदाताओं से उनका सीधा जुड़ाव और वार्ड की समस्याओं का समाधान करने के लिए हमेशा उनकी सक्रियता रहे। वह सुबह जल्दी उठकर अपने वार्ड का दौरा किया करते थे और लोगों की समस्याओं को जानकर उनका समाधान कराया करते थे। पार्षद नहीं रहने के बाद भी उन्होंने इसे जारी रखा और अभी भी और उनके पास कोई काम लेकर जाता था तो वो उसे निराश नहीं करते थे।

      उन्होंने  ब्लाक अध्यक्ष, डीसीसी महासचिव व उपाध्यक्ष तथा सैनिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष के रूप में भी कांग्रेस संगठन में अपना योगदान दिया। इसके अलावा विष्णु माथुर कायस्थ समाज की अनेक संस्थाओं से जुड़े रहे और सक्रियता के साथ समाज के लिए कार्य करते रहें । समाज में जब भी किसी व्यक्ति का निधन होता था, तो सबसे पहले श्मशान स्थल पहुंचने वाले विष्णु माथुर होते थे और वे वहां शव के पहुंचने से पहले ही अंतिम संस्कार की तमाम तैयारियां पूरी करा देते थे। यह उनकी नियमित दिनचर्या में शामिल था कि वे रोजाना कुछ देर के लिए श्मशान स्थल जाकर वहां व्यवस्था देखा करते थे।

       लेकिन रविवार की रात वो सोए तो सोमवार की सुबह वापस नहीं उठे और सभी को छोड़कर अपनी अंतिम यात्रा पर निकल गए। विष्णु माथुर अब नहीं रहे लेकिन समाज के हित में किए गए उनके काम उनकी हमेशा याद दिलाते रहेंगे। 

व्हाटस अप साभार ओम माथुर