चौथ माता के दर्शन के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

चौथ का बरवाडा: सवाई माधोपुर राजस्थान , 24 अक्टूबर (कायस्थ टुडे) अगर आप को लगता है कि करवा चौथ से जुड़ा कोई मंदिर नहीं होगा तो आप गलत हैं।  राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गांव में स्थित है चौथ माता का एक मंदिर, जिसके नाम पर इस गांव का नाम ही बरवाड़ा से बदल कर चौथ का बरवाड़ा हो गया।

 ये चौथ माता का सबसे प्राचीन और सबसे अधिक ख्याति प्राप्त मंदिर  माना जाता है। कहते हैं इस मंदिर की स्थापना महाराजा भीमसिंह चौहान ने की थी। चौथ का बरवाड़ा, अरावली पर्वत श्रंखला में बसा हुआ मीणा व गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है। बरवाड़ा का नाम 1451 में चौथ माता के नाम पर चौथ का बरवाड़ा घोषित किया गया था।यहां पर चौथ माता मंदिर के अलावा मीन भगवान का एक भव्य मंदिर और भी है। 

चौथ माता मंदिर करीब एक हजार फीट ऊंची पहाड़ी पर शहर से करीब 35 किमी दूर है। ये स्थान पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र प्राकृतिक सौंदर्य मन को मोहने वाला है।  मन्दिर के आसपास में सफेद संगमरमर से बने कई स्मारक हैं। दीवारों और छत पर जटिल शिलालेख के साथ यह मंदिर वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली के लक्षणों को प्रकट करता है। 

मंदिर में वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली देखी जा सकती है। यहां तक पहुंचने के लिए करीब 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। देवी की मूर्ति के अलावा, मंदिर परिसर में भगवान गणेश और भैरव की मूर्तियां भी हैं। 1452 में मंदिर का जीर्णोद्घार किया गया था। जबकि मंदिर के रास्ते में बिजली की छतरी और तालाब 1463 में बनवाया गया। बताते हैं महाराजा भीम सिंह पचाला के पास एक गांव से चौथ माता की मूर्ति लाए थे।



चौथ का बरवाड़ा बेशक एक छोटा सा इलाका है, जहां शक्तिगिरी पर्वत पर मंदिर बना हुआ है। इसके बावजूद ये श्रद्घालुओं का प्रिय धार्मिक स्थल बना हुआ है। चौथ माता को हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती है, जिनके बारे में विश्वास है कि वे स्वयं माता पार्वती का एक रूप हैं। यहां हर महीने की चतुर्थी पर लाखों दर्शनार्थी माता जी के दर्शन हेतु आते हैं। चौथ का बरवाड़ा शहर में हर चतुर्थी को स्त्रियां माता जी के मंदिर में दर्शन करने के बाद व्रत खोलती है एवं सदा सुहागन रहने आशीष प्राप्त करती है। 

करवा चौथ एवं माही चौथ पर यहां लाखों की तादाद में दर्शनार्थी पहुंचते है। चौथ माता के दर्शनों के लिए स्त्रियों की भीड़ पुरुषों की अपेक्षा अधिक रहती है क्योंकि इस मंदिर को सुहाग के लिए आर्शिवाद प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।

साभार:शिहान राधे गोविंद माथुर निवासी: चोथ का बरवाड़ा ( सवाई माधोपुर)हाल कनाडा