आयो सावनियों सहेलियों ऐ :म्यूजिक- दीपक माथुर




गीत का नाम - आयो सावनियों सहेलियों ऐ 

गायिका - सीमा मिश्रा, श्रद्धा जगताप 

म्यूजिक- दीपक माथुर

गीत के बोल- "शंकर सिंह राजपुरोहित "।

https://youtu.be/VS7pwuuUj9A



फरवरी तो फिरंगी प्रेम का महीना है,

असल हिंदी प्रेम का महीना तो सावन है।

कभी छत पर बैठकर देखना गिरती बारिश की बूंदों को वो बतलाएंगी तुम्हें की प्रेम क्या है। 

या मिलना किसी नवविवाहिता से जो झुल रही 

हो झूले विरह कि वेदना में, उसकी आँखों में छिपी "पी" से मिलने की तड़प बतलायेगी तुम्हें की प्रेम क्या है।


गीत का भावार्थ- 


राजस्थान तीज त्योहारों का राज्य है ये तो आप सब जानते हैं। इन्हीं त्योहारों में सबसे खास महीना है सावन का। राजस्थानी रीत-रिवाजों के अनुसार नवविवाहित स्त्रियों को सावन के महीने में अपनी सास से दूर रहना चाहिए नहीं तो सास-बहु में

खिटपिट चलती रहती है। पहले के लोग ये माना करते थे और फिर इस मान्यता ने  रिवाज का रूप ले लिया। आज भी नवविवाहित लड़कियां सावन का पुरा  एक महीना अपने पिया से दूर अपने  पीहर में ही व्यतीत करती हैं।


गीत में यही बताया जा रहा है कि सावन में आने वाली तीज पर ससुराल से आया लहरिया पहन झूला झूलती सहेलियां एक दूसरे से अपना दुःख बांट रही हैं और पीया से अपनी दूरी का अहसास बता रही हैं। वो एक दूजे के साथ नाचती गाती अपने विरह को भूलना चाहती है पर कहते हैं ना प्रेम का अहसास भूले नहीं भूल सकता कोई  बस वही उनके साथ हो रहा है। वो एक दूजे के साथ नाचती गाती भी पिया को ही याद कर रही हैं। मौसम में हो रही  हल- चल मोर की आवाज भी उन्हें पिया की याद ही दिला रही हैं।


सावन के इस प्रेम भरे महीने में आप भी अपने साजन-सजनी तक अपने मन का हाल "वीणा म्यूजिक" के इस गीत के सहारे पहुंच सकते हैं। बस आज ही youtube पर जाकर "वीणा म्यूजिक" का channel like share ओर subscribe करें और हर मौसम के हर भावों के गीतों का आनंद लें।