दिल जलता है तो जलने दे, आंसू ना बहा, फरियाद ना कर



पुण्यतिथि मुकेश: दर्द में भी सुकून का ठिकाना 

संगीत के 'बौद्धिक' जानकार मुकेश की गायकी को सादा बताकर उसे उनकी सीमित प्रतिभा कहते थे लेकिन आम आदमी खुद को इसी आवाज के सबसे करीब पाते है ।

 मुकेश बॉलीवुड की वो सदाबहार आवाज़ हैं जो लोगों के दिल में जब पहली बार उतरी, तब से आज तक सबके दिलों पर ही राज कर रही हैं। मुकेश राज कपूर की आवाज़ कहे जाते थे। मुकेश का जन्म 1923 में हुआ था और वो दस भाई बहनों में छठवें नंबर पर थे। उनका पूरा नाम मुकेश चंद्र माथुर था। 

हिन्दी फिल्मी गीतों को अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि दिलाने वाले पहले गायक मुकेश को गुजरे तैंतीस बरस हो चुके हैं. लेकिन आज भी उनकी जगह भरी नहीं जा सकी है। अपने छत्तीस साल के कैरियर में पंद्रह सौ गाने ही गाए लेकिन उनका लगभग हर गाना हिट रहा।

मुकेश चंद माथुर का जन्म 22 जुलाई 1923 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता लाला जोरावर चंद माथुर एक इंजीनियर थे और वह चाहते थे कि मुकेश उनके नक्शे कदम पर चलें. लेकिन वह अपने जमाने के प्रसिद्ध गायक अभिनेता कुंदनलाल सहगल के प्रशंसक थे और उन्हीं की तरह गायक अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे। 

लालाजी ने मुकेश की बहन सुंदर प्यारी को संगीत की शिक्षा देने के लिए एक शिक्षक रखा था। जब भी वह उनकी बहन को संगीत सिखाने घर आया करते थे, मुकेश पास के कमरे में बैठकर सुना करते थे और स्कूल में सहगल के अंदाज में गीत गाकर अपने साथियों का मनोरंजन किया करते थे। इस दौरान रोशन नागरथ. मशहूर संगीतकार रोशन, हारमोनियम पर उनका साथ दिया करते थे।

गीत-संगीत में रमे मुकेश ने किसी तरह दसवीं तक पढाई करने के बाद स्कूल छोड दिया और दिल्ली लोक निर्माण विभाग में सहायक सर्वेयर की नौकरी कर ली. जहां उन्होंने सात महीने तक काम किया। इसी दौरान अपनी बहन की शादी में गीत गाते समय उनके दूर के रिश्तेदार मशहूर अभिनेता मोतीलाल ने उनकी आवाज सुनी और प्रभावित होकर वह उन्हें 1940 में बम्बई ले आए और उन्हें अपने साथ रखकर पंडित जगन्नाथ प्रसाद से संगीत सिखाने का भी प्रबंध किया।

मुकेश को एक हिन्दी फिल्म (निदरेष)1941. में अभिनेता बनने का मौका मिल गया, जिसमें उन्होंने अभिनेता-गायक के रूप में संगीतकार अशोक घोष के निर्देशन मेंअपना पहला गीत.दिल ही बुझ हुआ हो तो.भी गाया। इस फिल्म में उनकी नायिका नलिनी जयवंत थीं, जिनके साथ उन्होंने दो युगल गीत भी गाए। इनमें एक गीत था" तुम्हीं ने मुझको प्रेम सिखाया" यह फिल्म फ्लाप हो गई और मुकेश के अभिनेता गायक बनने की उम्मीदों को तगडा झटका लगा। इसके बाद मुकेश ने "दुख.सुख"और "आदाब अर्ज" जैसी कुछ और फिल्मों में भी काम किया। .दुख.सुख. में उन्होंने विवाहित नायिका सितारा देवी के खलनायकी के अंदाज वाले प्रेमी की भूमिका निभाई जबकि वह नलिनी जयवंत और करण दीवान के साथ दिखाई दिए। इस फिल्म में वह अमीर वारिस की भूमिका निभाई जो एक माली की बेटी से शादी करता है।

Raj Kapoor राज कपूर के अलावा, Mukesh मुकेश, Sunil Dutt सुनील दत्त,  Feroz Khan फिरोज़ खान, Manoj Kumar मनोज कुमार और Dilip Kuma दिलीप कुमार की आवाज़ बनकर भी उभरे। Mukesh  मुकेश का पहला ही गाना ख्यतनाम हो गया था। उन्होंने Mukeshdil- jalata- hai- to -jalane de- ansoo -na -baha- phariyaad- na -kar दिल जलता है तो जलने दे, आंसू ना बहा, फरियाद ना कर ऐसा गया कि लोगों को लगा कि खुद के.एल. सहगल वो गाना गा रहे थे।

मुकेश को गाने से इतना प्यार था कि वो जाते जाते भी अपने ही तराने गुनगुनाते हुए गए। उनका परिवार आज भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा हुआ है। 


गौरतलब है कि मुकेश का असामयिक निधन, यूएसए में एक कॉन्सर्ट से पहले दिल का दौरा पड़ने से हुआ। राज कपूर को उनके जाने का बहुत बड़ा सदमा लगा। राज कपूर का कहना था कि शैलेंद्र (गीतकार) गया तो मेरे दिल का एक टुकड़ा चला गया लेकिन मुकेश गया तो मेरी आत्मा ही चली गई।