ए गम जरा ठहरो, कभी खुशियों को भी आने दो,
बड़ी मुश्किल से उसे घर का पता मिला है,
उसे जरा जी भर कर देख लूँ फिर आना ||
ए गम जरा रुको, थोड़े फुरसत में आना,
अभी-अभी तो खुशी आयी है,
कुछ पल उसके साथ बीता लूँ फिर आना ||
ए गम जरा रुको, इतनी भी जल्दी क्या है?
अभी अभी तो गए हो, लम्बा वक्त गुजारा था तुम्हारे साथ,
कुछ वक्त खुद के साथ गुजार लूँ फिर आना ||
ए गम जरा सुनो, थोड़ा ठहर कर आना,
खुशी सो रही है कहीं तुम्हारी आहट से जाग ना जाये,
खुशी थोड़ा आराम कर ले फिर आना ||
ए गम जरा रुको, हमेशा आने को बेताब रहते हो,
खुशियों का भी तो कुछ हक है मुझ पर,
जरा उसका हक अदा हो जाये फिर आना ||
ए गम तुम कुछ देर तो ठहर जाओ,
बड़ी मुश्किल से खुशी को रोक रखा है,
खुशी खुद जब खुशी-खुशी चली जाए तब आना।।
ए गम सुनो, तुम यहां अब मत आना,
जब भी आते हो जाने का नाम नहीं लेते हो,
जब जिंदगी खत्म हो जाये फिर आना ||
(मेरी पुस्तक सफर रिश्तों का से एक कविता)