क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्यौहार



रक्षाबंधन को लेकर कई प्रकार की मान्‍यताएं प्रचलित हैं। पौराणिक ग्रंथों इसको लेकर कई कहानियां बताई गई हैं। किसी कहानी में द्रौपदी और कृष्‍ण का जिक्र हैं तो किसी में राजा बलि और माता लक्ष्‍मी के बारे में बताया गया है। तो कहीं यह भी बताया गया है कि इसकी शुरुआत सतयुग में हुई थी

किदंवती के अनुसार शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई, तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दी थी। यह भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। भगवान ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था। उसी समय से राखी बांधने का क्रम शुरु हुआ।


लेकिन ऐसा माना जाता है कि सबसे पहला रक्षासूत्र इंद्र को उनकी पत्नी शचि ने बांधा था. कहा जाता है कि जब इंद्र वृत्तसुर से युद्ध के लिए जा रहे थे तो उनकी चिंता करते हुए देवी शचि ने उनके हाथ पर मौली या कलावा बांधा और उनकी रक्षा की कामना की थी. इसके बाद से रक्षबंधन की शुरुआत मानी जाती है.


रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन धूम-धाम से मनाया जाता है, कल रक्षा बंधन का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाएगा । जयपुर समेत प्रदेश भर में उमस की वजह से प्रदेशवासी परेशान है लेकिन हल्के बादल छाए होने और दिल्ली में बारिश होने की वजह से वहां से ठंडी हवाएं यहां पंहुचने के कारण घर से बाहर निकलने पर या छत पर जाने पर उमस से राहम मिलती है ।

 संभवतया कल हल्की बारिश हो सकती है । बारिश की फुहारों के बीच बहन अपने भाई की कलाई में विधि अनुसार राखी बांधेगी और अपनी रक्षा का वचन मांगेगी। रक्षा करने और करवाने के लिए बांधा जाने वाला पवित्र धागा रक्षा बंधन कहलाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनके कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं