कायस्थ गौरव साहित्यकार भगवती चरण वर्मा


 हिंदी के प्रमुख लेखकों में से एक थे भगवती चरण वर्मा ।  भगवती चरण वर्मा ने कई उपन्यास लिखे, उनका सबसे अच्छा काम चित्रलेखा (1934) था, जिसे दो सफल हिंदी फिल्मों, 1941 और 1964 में बनाया गया था। उन्हें  उनके महाकाव्य पांच भाग के उपन्यास, भूले बिसरे चित्रा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से  सम्मानित किया गया था। 1961 में और 1971 में पद्म भूषण । उन्हें 1978 में राज्यसभा के लिए भी नामित किया गया था। 


वर्मा का जन्म 30 अगस्त 1903 को तहसील सफीपुर में एक प्रसिद्ध कायस्थ परिवार में, वर्तमान उत्तर प्रदेश , भारत में हुआ था, जहाँ उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने कविता, उपन्यास, कहानी, निबंध और नाटक लिखकर साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। उनके पिता श्री देवी चरण जी कानपुर में वकालत करते थे। बालक भगवती की प्रारंभिक शिक्षा सफीपुर में हुई थी। 


भगवती बाबू को उच्च शिक्षा के लिए प्रयाग विश्वविद्यालय भेजा गया जहाँ से उन्होंने साहित्य और कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने पटकपुर में पैतृक घर में अपने विस्तारित परिवार के साथ कुछ साल बिताए। इसके बाद उन्होंने द सोफिकल स्कूल में पढ़ाई की,और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएएलएलबी किया।साहित्यकार भगवती शरण वर्मा का जन्म 30 अगस्त 1903 को हुआ और 5 अक्टूबर 1981 को उन्होने अन्तिम सांस ली ।