अंबिकेश्वर महादेव मंदिर भगवान श्रीकृष्ण ने की थी पूजा


प्रसिद्ध शिव मंदिर अंबिकेश्वर महादेव मंदिर जयपुर के आमेर में स्थित है। अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां शिवलिंग की स्थापना द्वापर युग में हुई थी। 


राजस्थान की राजधानी पिंकसिटी जयपुर में आमेर घूमने आए तो यहां प्राचीन अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करना ना भूले। यह मंदिर अपनी भव्यता के साथ ऐतिहासिकता के कारण प्रसिद्ध है। मंदिर आमेर फोर्ट के पास सागर मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर के आधार पर ही आमेर यानि आम्बेर का नामकरण हुआ है। 

स्थानीय निवासियों के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अंबिकेश्वर महादेव मन्दिर में पूजा की थी। भगवान श्रीकृष्ण के अम्बिका वन में आने और यहां स्थित अंबिकेश्वर महादेव की पूजा करने का उल्लेख भगवत् पुराण में भी मिलता है। दरअसल, नंद बाबा और ग्वालों के संग श्रीकृष्ण इस वन में ही आए थे। उन्होंने यहां भगवान शिव की पूजा की थी। 

यह पौराणिक मन्दिर आज भी जन आ​स्था का केन्द्र है। बड़ी संख्या में लोग यहां पूजा करने आते है। श्रावण मास में यहां भक्तों की भीड़ रहती है। महाशिवरात्रि पर भी यहां विशेष आयोजन होता है।  जयपुर का यह प्रसिद्ध शिव मन्दिर 14 खंभों पर टिका है शिव मंदिर की जहलरी भूतल से करीब 22 फुट गहरी है और इस मन्दिर की एक खासियत यह है कि बारिश के मौसम में यहां भूगर्भ का जल उपर तक आ जाता है और मूल शिवलिंग जलमग्न रहता है। 


बारिश का मौसम समाप्त होते ही यह पानी वापस भूगर्भ में चला जाता है जबकि उपर से डाला पानी भूगर्भ में नहीं जाता। जयपुर का यह प्रसिद्ध शिव मन्दिर 14 खंभों पर टिका हुआ है। कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले यहां काकिलदेव नामक राजा हुआ था। एक बार राजा ने देखा कि एक गाय एक स्ािान पर जाक र दूध देती है। राजा ने यहां खुदाई की तो ये शिवलिंग ​प्रकट हुआ। इसके बाद यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया।


 मान्यता के अनुसार, आमेर का नाम अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर रखा गया है। महादेव मंदिर परिसर के अंदर ऊना महादेव के रूप में प्रसिद्ध और लोकप्रिय है। मंदिर का निर्माण अंबिका (मीना) राजा ने करवाया था। जलाशय (कुंड) है, जिसका नाम है- पन्ना मीना कुंड, मंदिर के अंदर, गर्भगृह के पास स्थित है। यहां शीतला माता मंदिर और अन्य भगवान का मंदिर भी है।


 अम्बिकेश्वर महादेव आमेर के कछवाह राजवंश के कुलदेवता 


अम्बिकेश्वर महादेव  कछवाह राजवंश के कुलदेवता है| यानी शेखावत, राजावत, नरुका, खंगारोत, कुम्भावत, क्ल्यानोत आदि कछवाह राजपूतों के कुलदेवता हैं| इस मंदिर के पुजारी के अनुसार यह मंदिर पांच हजार वर्ष पुराना है और भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा है|  पुजारी के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का यहाँ मुंडन संस्कार हुआ था| 

कछवाहों की ख्यातों और कई इतिहासकारों के अनुसार आमेर पर मीणा शासकों पर विजय पाने के बाद कछवाह राजा काकिलदेव ने यहाँ पूर्व में ही निर्मित मंदिर व शिवलिंग को खुदाई कर निकाला और उसको वहीं स्थापित रखकर शिव पूजा की व्यवस्था की| उनको अपना कुलदेवता माना व अम्बिकेश्वर महादेव के नाम पर आमेर नगर बसाने के लिए नींव रखी जो कई पीढ़ियों के बाद राजदेव के समय आमेर में जमवारामगढ से राजधानी आमेर स्थानांतरित हुई| आपको बता दें काकिलदेव संवत 1093 की माघ सुदी शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गद्दी पर बैठे थे|साभार हेमन्त व्यास