सीमाओं के
प्रहरी बनकर
देखें ना
दिन-रात कभी,
घर अपनों से
दूर सदा
शिकवे
लब पर
ना लाये कभी।
किया समर्पित
तन और मन
तोपों-बंदूकों के
रण में
रक्षा देश की
की दुश्मन से
रोक उन्हें
उनकी हद में।
राष्ट्र सुरक्षित
रहा हमेशा,
उन पर चाहे कुछ भी बीता।
मुंह की खानी
सदा शत्रु ने,
शौर्य जवानों का
जीता।।
हम तो बस
अमर शहीदों को,
निज यादों में
अपनायेंगे।
उनने जो
खोया था
रणमें,
जीवन ना
लौटा पायेंगे।।
वीरों को
याद सदा
रखने को,
इतना ही
कर पाते हैं,
उनके सम्मान में
निश्चित दिन
कुछ आयोजन
हो जाते हैं।।
जैसे हम
अपने
देवों का,
अपने हित में
गुणगान करें।
वैसे ही
अमर शहीदों का
देवों के
सम ही
मान करें।।
मान सदा
उनका
रखने को,
ऐसा ही
हर बार करें।
शौर्य को
उनके
नमन करें,
और यादों से
श्रृंगार करें।।
अमर शहीदों की
यादों को,
आज पुन:
जीवित
कर लें।
बलिदानों को
नमन करें
और आंखों को
नम कर लें।।🌹🙏🌹
मुंह की खानी सदा शत्रु ने........पढ़ें
उनके सम्मान में....पढ़ें
प्रेषक प्रदीप माथुर ,अलवर