गणगौर माता की कहानी एंव गीत

 


गणगौर माता की कहानी

राजा का बोया जो-चना, माली ने बोई दुब. राजा का जो-चना बढ़ता जाये पर, माली की दुब घटती जाये. एक दिन, माली हरी-हरी घास मे, कंबल ओढ़ के छुप गया. छोरिया आई दुब लेने, दुब तोड़ कर ले जाने लगी तो, उनका हार खोसे उनका डोर खोसे. छोरिया बोली, क्यों म्हारा हार खोसे, क्यों म्हारा डोर खोसे , सोलह दिन गणगौर के पूरे हो जायेंगे तो, हम पुजापा दे जायेंगे. सोलह दिन पूरे हुए तो, छोरिया आई पुजापा देने माँ से बोली, तेरा बेटा कहा गया. माँ बोली वो तो गाय चराने गयों है, छोरियों ने कहा ये, पुजापा कहा रखे तो माँ ने कहा, ओबरी गली मे रख दो. बेटो आयो गाय चरा कर, और माँ से बोल्यो माँ छोरिया आई थी , माँ बोली आई थी, पुजापा लाई थी हा बेटा लाई थी, कहा रखा ओबरी मे. ओबरी ने एक लात मारी, दो लात मारी ओबरी नही खुली , बेटे ने माँ को आवाज लगाई और बोल्यो कि, माँ-माँ ओबरी तो नही खुले तो, पराई जाई कैसे ढाबेगा. माँ पराई जाई तो ढाब लूँगा, पर ओबरी नी खुले । माँ आई आख मे से काजल, निकाला मांग मे से सिंदुर निकाला , चिटी आंगली मे से मेहन्दी निकाली , और छीटो दियो ,ओबरी खुल गई. उसमे, ईश्वर गणगौर बैठे है ,सारी चीजों से भण्डार भरिया पड़िया है । है गणगौर माता , जैसे माली के बेटे को टूटी वैसे, सबको टूटना. कहता ने , सुनता ने , सारे परिवार ने ।दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन की पूजा के साथ ही साथ राक्षसों के राजा बलिप्रतिप्रदा की भी पूजा की जाती हैं ।


गणगौर पूजते समय का गीत 

यह गीत शुरू मे एक बार बोला जाता है और गणगौर पूजना प्रारम्भ किया जाता है –


प्रारंभ का गीत –

गोर रे, गणगौर माता खोल ये , किवाड़ी


बाहर उबी थारी पूजन वाली,


पूजो ये, पुजारन माता कायर मांगू


अन्न मांगू धन मांगू , लाज मांगू लक्ष्मी मांगू


राई सी भोजाई मंगू.


कान कुवर सो, बीरो मांगू इतनो परिवार मांगू..


उसके बाद सोलह बार गणगौर के गीत से गणगौर पूजी जाती है.


सोलह बार पूजन का गीत –

गौर-गौर गणपति ईसर पूजे, पार्वती


पार्वती का आला टीला, गोर का सोना का टीला.


टीला दे, टमका दे, राजा रानी बरत करे.


करता करता, आस आयो मास


आयो, खेरे खांडे लाडू लायो,


लाडू ले बीरा ने दियो, बीरों ले गटकायों.


साडी मे सिंगोड़ा, बाड़ी मे बिजोरा,


सान मान सोला, ईसर गोरजा.


दोनों को जोड़ा ,रानी पूजे राज मे,


दोनों का सुहाग मे.


रानी को राज घटतो जाय, म्हारों सुहाग बढ़तों जाय


किडी किडी किडो दे,


किडी थारी जात दे,


जात पड़ी गुजरात दे,


गुजरात थारो पानी आयो,


दे दे खंबा पानी आयो,


आखा फूल कमल की डाली,


मालीजी दुब दो, दुब की डाल दो


डाल की किरण, दो किरण मन्जे


एक,दो,तीन,चार,पांच,छ:,सात,आठ,नौ,दस,ग्यारह,बारह,


तेरह, चौदह,पंद्रह,सोलह.


सोलह बार पूरी गणगौर पूजने के बाद पाटे के गीत गाते है

KAYASTHA TODAY

पाटा धोने का गीत –

पाटो धोय पाटो धोय, बीरा की बहन पाटो धो,


पाटो ऊपर पीलो पान, म्हे जास्या बीरा की जान.


जान जास्या, पान जास्या, बीरा ने परवान जास्या


अली गली मे, साप जाये, भाभी तेरो बाप जाये.


अली गली गाय जाये, भाभी तेरी माय जाये.


दूध मे डोरों , म्हारों भाई गोरो


खाट पे खाजा , म्हारों भाई राजा


थाली मे जीरा म्हारों भाई हीरा


थाली मे है, पताशा बीरा करे तमाशा


ओखली मे धानी छोरिया की सासु कानी..


ओडो खोडो का गीत –

ओडो छे खोडो छे घुघराए , रानियारे माथे मोर.


ईसरदास जी, गोरा छे घुघराए रानियारे माथे मोर..


(इसी तरह अपने घर वालो के नाम लेना है )


कार्तिक माक की शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन गाय की पूजा की जाती हैं जिसे गोपाष्टमी कहा जाता है.



गणपति जी की कहानी 

एक मेढ़क था, और एक मेंढकी थी. दोनों जनसरोवर की पाल पर रहते थे. मेंढक दिन भर टर्र टर्र करता रहता था. इसलिए मेंढकी को, गुस्सा आता और मेंढक से बोलती, दिन भर टू टर्र टर्र क्यों करता है. जे विनायक, जे विनायक करा कर. एक दिन राजा की दासी आई, और दोनों जना को बर्तन मे, डालकर ले


गई और, चूल्हे पर चढ़ा दिया. अब दोनों खदबद खदबद सीजने लगे, तब मेंढक बोला मेढ़की, अब हम मार जायेंगे. मेंढकी गुस्से मे, बोली की मरया मे तो पहले ही थाने बोली कि ,दिन भर टर्र टर्र करना छोड़


दे. मेढको बोल्यो अपना उपर संकट आयो, अब तेरे विनायक जी को, सुमर नही किया तो, अपन दोनों मर जायेंगे. मेढकी ने जैसे ही सटक विनायक ,सटक विनायक का सुमिरन किया इतना मे, डंडो टूटयों हांड़ी फुट गई. मेढक व मेढकी को, संकट टूटयों दोनों जन ख़ुशी ख़ुशी सरोवर की, पाल पर चले गये. हे विनायकजी महाराज, जैसे मेढ़क मेढ़की का संकट मिटा वैसे सबका संकट मिटे. अधूरी हो तो, पूरी कर जो,पूरी हो तो मान राखजो.


गणगौर अरग के गीत

पूजन के बाद, सुरजनारायण भगवान को जल चड़ा कर गीत गाया जाता है.


अरग का गीत –

अलखल-अलखल नदिया बहे छे


यो पानी कहा जायेगो


आधा ईसर न्हायेगो


सात की सुई पचास का धागा


सीदे रे दरजी का बेटा


ईसरजी का बागा


सिमता सिमता दस दिन लग्या


ईसरजी थे घरा पधारों गोरा जायो,


बेटो अरदा तानु परदा


हरिया गोबर की गोली देसु


मोतिया चौक पुरासू


एक,दो,तीन,चार,पांच,छ:,सात,आठ,नौ,दस,ग्यारह,बारह,


तेरह, चौदह,पंद्रह,सोलह.


ज्येष्ठ माह की एकादशी के दिन पांडू पुत्र भीम ने रखा था निर्जला उपवास, इसलिए इसे भीमसेन एकादशी कहा जाता है.


गणगौर को पानी पिलाने का गीत

सप्तमी से, गणगौर आने के बाद प्रतिदिन तीज तक (अमावस्या छोड़ कर) शाम मे, गणगौर घुमाने ले जाते है. पानी पिलाते और गीत गाते हुए, मुहावरे व दोहे सुनाते है.


पानी पिलाने का गीत –

म्हारी गोर तिसाई ओ राज घाटारी मुकुट करो


बिरमादासजी राइसरदास ओ राज घाटारी मुकुट करो


म्हारी गोर तिसाई ओर राज


बिरमादासजी रा कानीरामजी ओ राज घाटारी


मुकुट करो म्हारी गोर तिसाई ओ राज


म्हारी गोर ने ठंडो सो पानी तो प्यावो ओ राज घाटारी मुकुट करो..


(इसमें परिवार के पुरुषो के नाम क्रमशः लेते जायेंगे. )  कायस्थ टुडे के 1 अप्रैल 2022 के अंक में