उदारमन, उसूलों के पक्के थे मथुरादास माथुर जी (भाजी)




जोधपुर, 6 सितम्बर । राजस्थान के पूर्व गृहमंत्री मथुरा दास माथुर राजनेता ही नहीं बल्कि पक्के समाजसेवी भी थे । कायस्थों के उत्थान में मथुरा दास माथुर जी का नाम बडे सम्मान से आज भी लिया जाता है ।

  उसूलों के पक्के और कुरीति के खिलाफ आवाज उठाने वाले और निम्न वर्ग की समस्याओं का हाथो हाथ समाधान करने वाले मथुरादास माथुर जी को लोग भाजी के रूप में अधिक पहचानते थे । । मथुरा दास माथुर जी को कोई अपने इरादे से हटा नहीं सकता था यह उस दौर के राजनेता खुले मन से स्वीकारते है ।

 मथुरा दास माथुर जी ने ही  जोधपुर में राजस्थान का प्रथम इंजीनियरिंग कॉलेज लाचू कॉलेज की स्थापना की जिसके बारे में कुछ बताने की जरूरत नहीं है ।



  मोहन लाल सुखाडिया सरकार में गृह, शिक्षा और वित्त मंत्री रहे स्वतंत्रता सेनानी मथुरा दास माथुर ने लाचू कालेज से उदीयमान और श्रेष्ठ इंजीनियर तैयार करने के लिए अपने उसूलों से समझौता नहीं किया , एक  नहीं कई उदाहरण है मथुरा दास माथुर जी के रहते हुए लाचू कालेज में तय  योग्यता  से नीचे होने वाले एक बडे नामी गिरामी मंत्री के पुत्र को उस समय के प्रिंसिपल  प्रो. जीवनलाल माथुर जी ने मंत्री पुत्र को प्रवेश नहीं दिया,। मंत्री ने माथुर को धमकाते हुए भाजी से अपने पुत्र का प्रवेश करवाने की बात कही , यह मंत्री जोधपुर संभाग के ताकतवर मंत्री थे । मंत्रीजी गुस्से में भाजी के पास पहुंच कर ​अपने पुत्र का लाचू कालेज मे ंप्रवेश देने के आदेश देने और प्रिसिंपल को हटाने के लिए कहा लेकिन आपको सुन कर ताजुुब होगा कि भाजी ने मंत्री को इस काम से स्पष्ट मना करते हुए घर से  जाने तक के लिए कह दिया ।

 दयावान भाजी ने ​कालेज ​के प्रिंसिपल प्रो जीवन लाल जी माथुर को स्पष्ट निर्देश थे कि जो बच्चा फीस नहीं भर सके उसकी फीस कालेज प्रशासन भुगतान करेेगा लेकिन इसके लिए खास निर्देश दिये हुए थे ताकि बच्चे को भी हीन भावना से ग्रस्त नहीं होना पडे । ऐसे थे उच्च विचारों के धनी मथुरा दास जी माथुर ।   कायस्थ रत्न, स्व.श्री मथुरादास जी माथुर  "भाजी" की आज 105 वी जयन्ती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि और सत् सत् नमन ।