बिजासन माता,अजमेर ।

देवी शक्तियों का पुंज  बिजासन माता Bijasan Mata, Ajmer


 




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" या देवी सर्व भूतेषु शक्तिरुपेण सस्थिता ।
नमस्तयै नमस्तयै नमस्तयै नमों नम :।


अर्थात सारे जीवों में शक्तिरुप से स्थित देवी को बार बार नमस्कार ।
मंदिर क्यों बनते है।
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हमारी संस्कृति में देवी-देवताओं का बडा महत्व है। मानव को हर भय या अनिष्ठता से रक्षा करने के लिए ये देवी शक्तियां सदैव तत्पर रहती है। अधिकतर लोग इसी सांत्वना में जीते है कि ये शक्तियां हमारी रक्षा करेगी इसलिए वे मंदिर या शास्त्रों की ओर जाते है।


 विज्ञान भी यह मानता है कि मंदिर जो है, देवताओं के रहने का स्थान नहीं है। मंदिर एक शक्ति केन्द्र होते है। वहाँ पर शक्ति को स्थापित किया गया रुप ही ईश्वर है। आपके अंदर उसी शक्ति का विकास करने के लिए मंदिर नामक शक्ति केन्द्रों की स्थापना की गई है।


ज्ञानी पुरुषों ने उस शक्ति का लाभ दुसरों को मिले इस उद्देश्य के साथ एक निवेश के रुप में मंदिरों का निर्माण किया । 


मन में छल-कपट के बिना सौ फिसदी निष्ठा के साथ मंदिरों में जाएगें तो वह शक्ति काम करेगी, आपके दुखों का निवारण अवश्य होता है।


शक्ति केन्द्र बिजासन माता धाम
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हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि,
आनन्द की भाव धारा, जीवन के हर क्षेत्र में ( पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय, विश्व ) प्रभावित हो, दिव्य भाव को स्थापित कर सामाजिक जीवन में आए हुए असन्तुलन को समाप्त कर एक स्वरूप और प्रसन्नचित्त समाज का निर्माण करने में समर्थ हो, साधक धर्म को आचरण में अभिवक्त करे, तब ही यह संभव होगा । 


धर्म को आचरण में अभिवक्त करने के लिए नित्य मंदिर के दर्शन करने की सीख दी जाती है।


इसी उद्देश्य से लगभग 400 वर्ष पूर्व समाज के मनीषियों ने मातृ शक्ति का केन्द्र बिजासन माता धाम की स्थापना की । यहाँ इस चबुतरे के बीचों बीच नव दुर्गा के शक्ति यंत्रों को मंत्रोच्चारणों से अष्ठकोणिय भुजा के मध्य प्रतिष्ठित किया और उसकी रक्षा के लिए आठ धम्भों की छोटी दिवार निर्मित की ।


निश्चय ही इस स्थान पर चम्तकारी शक्ति पूंज पूर्ण विधी विधान के प्राणप्रतिष्ठा कर स्थापित किया गया है। इसकी स्थापना से नियमित वर्षो तक वीधि विधान से  यहाँ पूजा होती रही है, इस शक्ति पूंज से निरन्तर शक्ति विसर्जित होता रहता है, जो भी इसके संपर्क में आता है वे निहाल हो जाता है।


इस स्थान से जो भी चमत्कारी लाभ प्राप्त होते है, उसके स्त्रोत महामाया मातारानी की शक्ति ही है। यह हम प्रत्यक्ष देख रहे है।


इस धाम के चारों और बना स्टील पाईप का रक्षा कवच निश्चय ही देवी प्रेरणा से बना है, ताकि इस शक्ति केन्द्र की पवित्रता अक्षुण रहे।


वर्ष में दो मेले
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माहीसाते का मेला- विक्रम संवत के माध महिने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी जो सूर्य सप्तमी की भी कही जाती है, के रोज हर साल यहाँ मेला भरता है।


फुल बंगला मेला- विक्रम संम्वत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पहली तारीख ( प्रतिपदा ) तिथि से ही यहाँ माता के धाम को गुलाब के शुर्क लाल फुलों के बंगलों से सजाने का क्रम चलता है, जो पूरी नवरात्रि और आगे महिने भर चलता रहता है। मध्य रात्रि तक भक्तगण भजन किर्तन करते है।


हमने देखा है मोहल्ले में रहने वाले सभी नित्य अपने कार्य का प्रारंभ माता के चबुतरे पर आस्था से माधा नवाकर ही प्रारंभ करते  है।


माता के दर्शनों के लिए आने वली  छत्तीस कौमें इस शक्ति का लाभ लेती है, यहाँ किसी की मूर्ति स्थापित न होने से यह शक्ती केन्द्र किसी एक धर्म व जाती का न होकर सभी कौमों की आस्था केन्द्र बन गया है। इस्लाम के अनुयायी भी यहाँ आस्था व्यक्त करने आते है।


जय जय बिजासन माता की । सभी की मनोकामना पूर्ण करे ।